गुमला जिले का मौसम शनिवार की रात से खराब है. 22 व 23 जनवरी की रात व सुबह को सात मिलीमीटर बारिश हुई. इसके बाद से बादल छाये हुए है. रविवार को दिनभर मौसम खराब है. जनजीवन में व्यापक असर पड़ा है. झारखंड में राजस्थान और मध्य प्रदेश के रास्ते आ रहे पश्चिमी विक्षोभ का असर दिखने लगा है. इस पश्चिम विक्षोभ का असर गुमला में भी देखा जा रहा है.
कृषि विज्ञान केंद्र गुमला के अनुसार 26 जनवरी तक लगातार बादल छाये रहने की संभावना है. 23 जनवरी को सात मिलीमीटर बारिश हुई है. इन चार दिनों में 64 प्रतिशत से लेकर 95 प्रतिशत तक मौसम में आद्रता रहेगी. कहीं-कहीं पर ओलावृष्टि, गर्जन, वज्रपात के साथ-साथ मध्यम से हल्के दर्जे की वर्षा होने की संभावना है. सुबह में कोहरा छाया रहेगा. अभी 26 जनवरी तक न्यूनतम तापमान सात से नौ डिग्री सेल्सियस रहेगा.
खेतीबारी के लिए बारिश फायदेमंद : कृषि विज्ञान केंद्र गुमला ने किसानों को इस प्रकार के मौसम में गेहूं की फसल में यूरिया का बुरकाव करने की सलाह दी गयी है, क्योंकि बारिश में लगभग पर्याप्त नमी जमीन में उपलब्ध है. साथ ही साथ तीसी, सरसों एवं फलदार वृक्ष के लिए यह बारिश काफी लाभकारी सिद्ध होगा. जहां तक आम में इस समय मंजर लगने का समय आ गया है. गुमला जिले में हजारों एकड़ में आम की बागवानी हुई है. जिसमें फसल प्रबंधन की अत्यंत आवश्यकता है.
झारखंड राज्य में कुछ सालों से मधुआ कीट का प्रकोप काफी बढ़ गया है. जिसे देखते हुए किसानों को इस समय इमिडकलोपरिड 0.5 मिली लीटर प्रति लीटर की दर एवं दूसरा छिड़काव मंजर में फूल आने से पहले स्पिनोसेड 0.2 मिली लीटर प्रति लीटर की दर से छिड़काव करना चाहिए. इस प्रकार के मौसम के कारण सरसों की फसलों में माहू कीट लगने की संभावना बढ़ जाती है. जिसे रोकने के लिए इमिडकलोपरिड एक मिलीलीटर दवा प्रति तीन लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से माहू कीट की संभावना कम हो जाती है.
ठंड के मौसम में गाय, बैल में एफएमडी चपका रोग का प्रकोप बढ़ जाता है. इस रोग से बचाव के लिए पशुओं को टीका लगाना जरूरी है. पालतू पशुओं को ठंड से बचाने के लिए इनके रहने की जगह के आसपास आग जलाकर स्थान को गर्म रखें. दरवाजा व खिड़कियों में जूट के बोरे का पर्दा लगा दें. साथ ही धूप निकलने के बाद पशुओं को बाहर निकाल दें.
कृषि विज्ञान केंद्र गुमला ने मछली पालक किसानों को सलाह देते हुए कहा है कि जिस तालाब की पानी फरवरी माह में सूख जाता है. उस तालाब की बड़ी मछलियों को निकालकर बाजार में बेच दें. वहीं जिस तालाब में पानी रहता है. यदि पानी साफ हो गया है तो उसमें चूना व गोबर डालें. साथ ही मछलियों के लिए पूरक आहार धान की भूसी व सरसों की खली को मिलाकर पांच किलोग्राम प्रति एकड़ में फैले तालाब में प्रतिदिन डालें.
मौसम खराब होने का असर गुमला शहर में भी देखा गया. रविवार को अक्सर शहर में अधिक भीड़ देखी जाती है. परंतु मौसम खराब होने के कारण 23 जनवरी को शहर में जनजीवन अस्त व्यस्त नजर आया. आवागमन भी कम देखा गया. दुकानों में लोगों की भीड़ नहीं थी. खरीदार कम पहुंचे. बारिश थमने के बाद ठंड का भी असर देखा गया.