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तस्करी की शिकार लड़कियां चाइल्ड रिपोर्टर बनेंगी

शक्तिवाहिनी व सीडब्ल्यूसी द्वारा पालकोट व खूंटी में 60 लड़कियों को फुटबॉल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अब लड़कियों के हुनर के अनुसार उन्हें प्रशिक्षित कर आगे बढ़ने का अवसर दिया जायेगा. दुर्जय पासवान गुमला : मानव तस्करी की शिकार गुमला व खूंटी जिले की 60 लड़कियां चाइल्ड रिपोर्टर बनेंगी. दिल्ली व कोलकाता के […]

शक्तिवाहिनी व सीडब्ल्यूसी द्वारा पालकोट व खूंटी में 60 लड़कियों को फुटबॉल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अब लड़कियों के हुनर के अनुसार उन्हें प्रशिक्षित कर आगे बढ़ने का अवसर दिया जायेगा.
दुर्जय पासवान
गुमला : मानव तस्करी की शिकार गुमला व खूंटी जिले की 60 लड़कियां चाइल्ड रिपोर्टर बनेंगी. दिल्ली व कोलकाता के रिपोर्टर व फोटोग्राफर द्वारा इन लड़कियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा़ लड़कियां अपने गांव व आसपास की समस्याओं को मुद्दा के रूप में उठा कर उसे प्रशासन व सरकार के पास रखेंगी. गांव स्तर से निकाले गये मुद्दों को अखबारों में भी प्रकाशित किया जायेगा.
दिल्ली की संस्था शक्तिवाहिनी व गुमला सीडब्ल्यूसी द्वारा लड़कियों को प्रशिक्षण देने की पहल शुरू कर दी गयी है. 30 लड़कियों को गुमला जिला के पालकोट व 30 लड़कियों को खूंटी जिला में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पहले चरण में लड़कियों को कैमरा चलाने की तकनीक बतायी जा रही है. इसके बाद गांव स्तर में किस प्रकार रिपोर्टिंग करनी है, इसकी जानकारी दी जायेगी.
शक्तिवाहिनी के ऋषिकांत ने बताया कि मानव तस्करी की शिकार लड़कियों के जीवन स्तर को ऊपर लाने व लीडरशिप की भावना को जागृत करने के लिए पहले फुटबॉल खेल का प्रशिक्षण दिया गया. फुटबॉल का प्रशिक्षण अभी जारी हैं. इसमें पालकोट व खूंटी की 30-30 लड़कियों में काफी बदलाव आया है. अब इन लड़कियों को चाइल्ड रिपोर्टर बनाने की योजना है. इसके अलावा इन लड़कियों की पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है, जिससे ये आगे बढ़ कर अपनी अलग पहचान बना सके. अभी 12 लड़कियों ने इस वर्ष मैट्रिक व इंटर की परीक्षा पास की है.
दिल्ली से मुक्त करायी गयी लड़कियां हैं
सभी 60 लड़कियों को मानव तस्करों ने दिल्ली में बेच दिया था. दिल्ली में कई स्थानों पर लड़कियां प्रताड़ना व शोषण की शिकार हुई. बाद में शक्तिवाहिनी, सीडब्ल्यूसी व पुलिस के सहयोग से इन लड़कियों को दिल्ली से मुक्त कराया गया. दिल्ली से मुक्त करायी गयी लड़कियों के जीवन में बदलाव लाने के लिए शक्तिवाहिनी ने एक प्रयोग शुरू किया. इसमें लड़कियों को उनके हुनर के अनुसार प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गयी. लड़कियों का रूझान ज्यादा फुटबॉल खेल व रिपोर्टर बनने पर था, इसलिए पहले लड़कियों को फुटबॉल का प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया गया़
तस्करी की शिकार लड़कियां पढ़ रही हैं
दिल्ली से मुक्त होने के बाद सभी लड़कियां विभिन्न स्कूलों में पढ़ाई कर रही हैं. कुछ कस्तूरबा, तो कुछ लड़कियां अपने गांव में पढ़ रही हैं. सीडब्ल्यूसी के सदस्य अलख नारायण सिंह ने कहा कि अच्छी बात यह है कि पलायन की शिकार 12 लड़कियों ने पढ़ाई जारी रखते हुए मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में सफलता प्राप्त की. अब ये लड़कियां चाइल्ड रिपोर्टर बनेंगी, ताकि गांव की समस्याओं को उठा सके.

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