दुर्जय पासवान, गुमला वर्ष 2025 में गुमला जिले में मौतों का आंकड़ा भयावह है. चिंता की भी बात है. हर दिन हो रही मौतों पर मंथन करने की जरूरत है. गुमला सदर अस्पताल में हुए पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर नजर डालें तो 11 महीने में 658 लोगों की मौत हुई है. यह मौतें विभिन्न कारणों से हुई है. दुखद घटना यह है कि गुमला में आत्महत्या के केस दिनों-दिन बढ़ रहा है. इसमें कम उम्र के बच्चे भी आत्महत्या कर रहे हैं. मोबाइल, बाइक की चाहत व नशा की लत कम उम्र के बच्चों के लिए मौत का कारण बन रहा है. एक आंकड़ा के अनुसार 11 महीने में 159 लोगों ने आत्महत्या की है. इसमें कई लोगों ने जहर खाकर तो कई लोगों ने फांसी लगाकर अपनी जान दी है. जिस प्रकार आत्महत्या की घटना घट रही है. इसे कैसे रोका जाये. इसके लिए सभी को पहल करने व स्कूल कॉलेजों में हर सप्ताह एक घंटे का काउंसलिंग कार्यक्रम जरूरी है. हालांकि, इस रिपोर्ट में 11 माह की मौतों का आंकड़ा है. दिसंबर माह में भी 50 से अधिक लोगों की जान विभिन्न कारणों से जा चुकी है. परंतु, अस्पताल की रिपोर्ट में अभी यह आंकड़ा नहीं जुड़ा है. इस कारण इस रिपोर्ट में सिर्फ 11 माह की मौतों का आंकड़ा बतायी जा रही है. अगर इस प्रकार मौतों के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो हर दिन दो लोगों की अलग-अलग घटनों में जान जा रहा है. इसमें आत्महत्या व सड़क हादसों से सबसे अधिक जान जा रही है. जो सबसे बड़ी चिंता की बात है. सड़क हादसों में 245 लोगों की हुई मौत दूसरी चिंता की बात सड़क हादसा है. गुमला में जिस प्रकार हर दिन हादसे हो रहे हैं. आंकड़े पर गौर करें तो 11 महीने में 245 लोगों की जान सड़क हादसों में गयी है. सड़कों पर जिस प्रकार हादसे हो रहे हैं. काली सड़कें खून से लाल हो रही है. हालांकि, सड़क हादसों को कम करने के लिए प्रशासन लगातार प्रयास कर रही है. परंतु, युवकों की मस्ती व लापरवाही से गाड़ी चलाना मौत का कारण बन गयी है. इधर, गुमला प्रशासन लगातार यातायात नियम का सख्ती से पालन करने के लिए वाहन जांच अभियान चला रही है. जुर्माना भी वसूला जा रहा है. स्कूल व कॉलेज में कार्यक्रम हुआ है. फिर भी लोग नहीं सुधर रहे. कुआं, नदी व तालाब मौत का कारण कुआं, नदी व तालाब भी गुमला में मौत का कारण बनी हुई है. 11 महीने में 124 लोगों की मौत कुआं, नदी व तालाब में डूबने से हुई है. इसमें बड़े लोगों के अलावा कम उम्र के बच्चों की भी मौत हुई है. यहां तक कि पिकनिक की मस्ती में भी कई लोगों की नदी व डैम में डूबने से जान गयी है. हत्या का ग्राफ कम हुआ है. परंतु, कुछ क्षेत्रों में नशापान के कारण हत्याओं की घटनाएं 11 महीने में घटी है. जिसमें अलग-अलग घटनाओं में 51 लोगों की हत्या हुई है. गुमला में गोली लगने से सात लोगों की मौत हुई है. वज्रपात और करंट से 36 की मौत गुमला में वज्रपात व बिजली तार की चपेट में आने से भी मौत हुई है. 11 महीनें में 36 लोगों की जान गयी है. जिसमें वज्रपात से 23 व बिजली तार से सटकर 13 लोगों की मौत हुई है. यहां बता दें कि गुमला जिला थंडरिंग जोन है. इस कारण यहां हर बरसात में वज्रपात की घटनाएं घटती है. जिससे लोगों की जान जाती है. खासकर ग्रामीण इलाकों में जब धान रोपनी व खेत में पशुओं को चराने ग्रामीण जाते हैं तो उस वक्त बारिश के साथ आसमानी बिजली गिरती है. जिससे लोगों की जान गयी है. इधर, पेड़ से गिरने से भी चार लोगों की मौत गुमला में हो चुकी है. सांप व हाथी ने भी लोगों को मारा गुमला में कई प्रकार के जहरीले सांप मिलते हैं. इस वजह से जैसे ही बरसात शुरू होती है. बारिश का पानी सांप के बिलो में घुस जाता है. जिस कारण सांप सुरक्षित स्थान खोजने के लिए अपने बिल से निकलते हैं. जिसके बाद खेत व सड़कों पर सांपों के चलने से रास्ते में जो मिलते हैं. उसे सांप डस लेते हैं. घर में भी घुसकर सांप लोग डसते रहे हैं. जून, जुलाई व अगस्त माह में सांप के डसने से आठ लोगों की मौत हुई है. वहीं हाथी के कुचलने से मार्च व अप्रैल माह में सात लोगों की मौत हुई है. चूंकि हाथी जंगल से भटकने के बाद भोजन की तलाश में गांव में घुसते हैं और लोगों पर हमला करते हैं. 2025 में हुई मौतों का आंकड़ा मौत संख्या आत्महत्या 159 सड़क हादसा 245 हत्या 44 पानी में डूबने 124 वज्रपात 23 बिजली करंट 13 पेड़ से गिरकर 08 सांप काटने 08 हाथी कुचलने 07 गोली से मौत 07 ठंड लगने से 04 आग से जलकर 03 नशा के कारण 01 गिरने से मौत 12 टोटल 658
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