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गुमला से ग्राउंड रिपोर्ट : उग्रवाद का डर नहीं, विकास की छटपटाहट है

दुर्जय पासवान, सिसई विस के बसिया ब्लॉक से ग्राउंड रिपोर्ट प्रकृति का नियम है. समय के साथ बदलाव होता है. प्रकृति का यह नियम मनुष्य से लेकर पशु, पक्षी, पेड़-पौधे यहां तक कि विकास के कामों पर भी लागू होता है. कुछ इसी प्रकार के बदलाव की कहानी सिसई विधानसभा का बसिया प्रखंड बयां कर […]

दुर्जय पासवान, सिसई विस के बसिया ब्लॉक से ग्राउंड रिपोर्ट

प्रकृति का नियम है. समय के साथ बदलाव होता है. प्रकृति का यह नियम मनुष्य से लेकर पशु, पक्षी, पेड़-पौधे यहां तक कि विकास के कामों पर भी लागू होता है. कुछ इसी प्रकार के बदलाव की कहानी सिसई विधानसभा का बसिया प्रखंड बयां कर रही है. एक समय था. बसिया प्रखंड में उग्रवाद चरम पर था. यहां नरसंहार तक कि घटना घटी है. एक ही परिवार के पांच सदस्यों तक की हत्या उग्रवादियों ने कर दी है. इस क्षेत्र में विकास का काम कराना चुनौती साबित होता था. उग्रवाद का एक दंश सिसई व बसिया की सड़क भी भुगत रही है. उग्रवाद के कारण ही यह सड़क अभी तक पूरी नहीं हो सकी है.

हालांकि, ग्रामीण इस सड़क के नहीं बनने के पीछे उग्रवादियों के साथ सरकारी सिस्टम पर भी दोष मढ़ रहे हैं. बसिया प्रखंड में हुए विकास के कामों की जानकारी व लोगों के चुनावी रूझान जानने के प्रयास में प्रभात खबर गुमला के ब्यूरो दुर्जय पासवान ने रविवार को दिनभर लोगों से मुलाकात की. उनसे बात की. कुछ जगह चाय व समोसा चला. तो कहीं गर्म रोटी के साथ पेट पूजा भी हुई.

रविवार को बसिया प्रखंड के कोनवीर मैदान में भाजपा के अमित शाह की चुनावी सभा होनी थी. परंतु ऐन वक्त पर अमित शाह का दौरा फेल हो गया. उनके स्थान पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद पहुंचे और दिन के एक बजे चुनावी सभा को संबोधित किया. चुनावी सभा से होते हुए मैं कुम्हारी गांव के रास्ते चल पड़ा. बैंक मोड़ स्थित गौरी चौधरी के होटल में दिन के 12.30 बजे रामवृत गोप मिले. उनसे बसिया प्रखंड के मुददे पर बात की.

श्री गोप ने कहा कि पांच सालों में इस क्षेत्र में कई विकास के काम हुए हैं. परंतु कई ऐसे गांव हैं, जहां विकास के काम नहीं हुए हैं. इन्हीं में बोंगालोया गांव है. जहां काम नहीं है. इसलिए लोग पलायन कर गये हैं. अगर किसी बड़े नेताजी के पास समस्या रखनी है तो पहले उनके चमचों से बात करनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में जो भी विधायक बने. जनता की बात सुनने वाला होना चाहिए.

वहां से आगे बढ़ने पर दिन के 1.00 बजे बानागुटू गांव के समीप खराब सड़कों को मिट्टी से भरा जा रहा था. वहां पीडब्ल्यूडी के जूनियर इंजीनियर सिकंदर सिंह मिले. उनसे जब सड़क कब बनेगी यह सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इसका जवाब बड़े साहब लोग ही दे सकते हैं. उन्होंने बताया कि चुनाव व उग्रवाद क्षेत्र के कारण गड्ढे हुए सड़कों को मिट्टी से भरा जा रहा है. ताकि आवागमन में किसी को परेशानी न हो.

वहीं, पास एक युवक विक्की साहू से मुलाकात हुई. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सड़क व पुल बनी है. परंतु सिसई व बसिया सड़क अभी तक नहीं बनी. तभी वहां एक भाजपा नेता बाइक में झंडा लगाये पहुंचा. उसने कहा कि सरकार तो भाजपा की बनानी है. परंतु सड़क नहीं बनने से सरकार से हम नाराज हैं. दिन के 1.30 बजे फरसामा गांव पहुंचे. गांव में कोई चुनावी शोरगुल नहीं. न ही किसी पार्टी का झंडा दिखा. गांव पहुंचने पर शहीद विजय सोरेंग के घर का दरवाजा खटखटाया तो शहीद के पिता बिशु सोरेंग ने दरवाजा खोला.

तभी गांव के कुलदीप लकड़ा, सुरेंद्र इंदवार, आजाद साहू, बेने बागे जो कि खेत से धान को ढोकर खलिहान में रख रहे थे. वे थकने के बाद शहीद के घर के समीप सीमेंट के बने पींडा में बैठ गये. गांव की समस्याओं पर ग्रामीणों ने खुलकर बोला. यह भी कहा कि हम वोट देंगे. परंतु जिसे विधायक बनायेंगे. उनसे हमारे गांव के विकास की उम्मीद रहेगी. पौने दो बजे कुम्हारी मुख्य चौक के पास पहुंचे. जहां महतो होटल में लोगों की भीड़ देखकर होटल में घुस गये.

झोपड़ीनुमा होटल है. लेकिन यहां जो नास्ता मिलता है. वह शहर के होटलों से बेहतर होता है. यहां के समोसा व ढुसका की डिमांड ज्यादा है. होटल मालिक दिनेश महतो ने कहा कि चुनावी माहौल में होटल में बिक्री बढ़ गयी है. चाय व समोसा की ज्यादा मांग है. चुनावी रणनीति व राजनीति की बात खूब होती है. यहां जितनी भी पार्टी आती है. सभी अलग-अलग बाते करते हैं. सभी हार जीत व वोट प्राप्त करने की भी चर्चा करते हैं. प्रखंड की समस्याओं पर भी खूब चर्चा होती है. दिनभर बसिया में रहने के बाद शाम को गुमला पहुंचा. बसिया के हाल जानने के बाद यह स्पष्ट है. यहां विकास के काम हुए हैं. परंतु अभी भी कुछ इलाकों में काम करने की जरूरत है.

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