अंकित चौरसिया, गुमला
नाबालिग बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म करने के बाद बेरहमी से हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश-प्रथम सह विशेष न्यायाधीश लोलार्क दुबे की अदालत ने बसिया प्रखंड के कोईनटोली निवासी आरोपी नीरज पाणिग्राही को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. भादवि की धारा 302 के तहत हत्या के लिए सश्रम आजीवन कारावास की सजा के साथ 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर एक वर्ष अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ सकती है.
भादवि की धारा 376(2) दुष्कर्म के लिए सश्रम आजीवन कारावास की सजा एवं 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर एक वर्ष अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ सकती है. भादवि की धारा 201 के के तहत साक्ष्य छुपाने के लिए सात वर्ष सश्रम कारावास व पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर छह माह अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ सकती है. सभी सजा साथ-साथ चलेगी.
इस केस में सरकारी पक्ष की ओर से विशेष अपर लोक अभियोजक चंपा कुमारी ने पैरवी की. गुमला जिला के कामडारा प्रखंड की छह वर्षीय नाबालिग बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म की घटना को अंजाम देने के बाद पत्थर से कूचकर हत्या कर दी गयी थी. मृतका के माता- पिता होटल में काम कर अपनी बेटी का भरण-पोषण करते थे. घटना 26 अप्रैल 2013 की है.
इस संबंध में मृतका की मां कामडारा थाना में बसिया प्रखंड के कोईनटोली निवासी नीरज पाणिग्राही पर अपनी बेटी का अपहरण कर दुष्कर्म करने के बाद हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराया था. जिसमें कहा गया था कि उसकी बेटी की उम्र छह वर्ष थी. मृतका के माता-पिता दूसरे के होटल में काम कर अपनी बेटी की परवरिश करते थे.
मृतका कि मां हर दिन की तरह जिस होटल में काम करने जाती थी. उसी दिन अपनी बेटी को साथ ले गयी थी. जिस दौरान उसकी बेटी अचानक कहीं गायब हो गयी. काफी खोजबीन करने के बाद भी उसकी बेटी का कुछ पता नहीं चलने पर थाना में जाकर अपनी बेटी की गुमशुदगी की जानकारी दी. 27 अप्रैल को गांव के एक लड़की ने मृतका की मां को बताया कि बसिया निवासी नीरज पाणिग्राही एक बच्ची को बहला-फुसला कर ले जा रहा था.
इस आधार पर मृतका के पिता ने बसिया थाना पुलिस के साथ जाकर आरोपी के घर की तलाशी लिया. परंतु कुछ पता नहीं चला. अगले दिन 28 अप्रैल को पता चला की एक छोटी बच्ची का शव विद्यालय के पीछे टोंगरी में फेंका हुआ है. वहां जाने पर मृतका के माता-पिता ने उसकी पहचान अपनी बेटी के रूप में की.
पीड़ित दंपती संतानहीन हो गये
पीड़ित माता पिता अपनी बेटी का भरण-पोषण के लिए होटल में काम करते थे. पीड़ित दंपती के दो बेटी थी. घटना से छह वर्ष पूर्व उसकी बड़ी बेटी की बीमारी से मौत हो गयी थी. इसके बाद वर्ष 2013 में छोटी बेटी के साथ घटित घटना के बाद दंपती संतानहीन हो गये.
पीड़िता की मां व आरोपी एक ही होटल में काम करते थे
पीड़िता की मां जिस होटल में काम किया करती थी. उसी होटल में आरोपी नीरज पाणिग्राही भी मिस्त्री का काम करता था. बच्ची से परिचय होने का फायदा उठाते हुए आरोपी ने नाबालिग बच्ची का अपहरण करने के बाद घटना को अंजाम दिया.
जज ने पढ़ा श्लोक
हिंदी के प्रख्यात कवि मैथिली शरण गुप्त के द्वारा नारी की स्थिति के बारे में व्याख्या करते हुए जज ने कहा कि अबला जीवन तेरी यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी. यत्र नर्यास्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता अर्थात जहां नारी की पूजा होती है. वहीं पर देवताओं का वास होता है.