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टीबी और गरीबी ने परिवार को किया तबाह, मां की मौत, पिता की बीमारी के कारण बेटियों ने छोड़ी पढ़ाई

।। दुर्जय पासवान ।। गुमला : आर्थिक तंगी और पिता की बीमारी के कारण तीन बहनों को पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी. गरीबी के कारण इलाज नहीं करा पाने से टीबी बीमारी से तीन साल पहले बच्‍चों पर से मां का साया उठ गया. पिता भी टीबी से ग्रसित हैं. मां के निधन, पिता के बीमार […]

।। दुर्जय पासवान ।।

गुमला : आर्थिक तंगी और पिता की बीमारी के कारण तीन बहनों को पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी. गरीबी के कारण इलाज नहीं करा पाने से टीबी बीमारी से तीन साल पहले बच्‍चों पर से मां का साया उठ गया. पिता भी टीबी से ग्रसित हैं. मां के निधन, पिता के बीमार होने और आर्थिक तंगी ने तीन बहनों को पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर दिया. उनके पास स्कूल की जरूरत की चीजें खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. पेट की भी आग बुझाने है. इसलिए बेटियों ने पढ़ाई छोड़ गरीबी से लड़ने के लिए मजदूरी कर रही हैं.

यह मार्मिक कहानी सिसई प्रखंड के बोंडो पंचायत स्थित मादा गांव की है. इस गांव में फुलदेव उरांव रहते हैं, जो तीन वर्षों से टीबी बीमारी से लड़ रहे हैं. फुलदेव की पत्नी शांति देवी का तीन साल पहले टीबी व अन्य बीमारी से मौत हो चुकी है. जबतक मां जीवित थी और पिता स्वस्थ थे. तबतक बेटियां स्कूल गयी.

गरीबी में भी फुलदेव अपनी बेटियों को पढ़ा रहा थी, लेकिन टीबी बीमारी के कारण इस परिवार के ऊपर दुख के संकट मंडराने लगे.जिसका नतीजा है फुलदेव की बड़ी बेटी प्रियंका कुमारी (15 वर्ष), सोनी कुमारी (13 वर्ष) व अनुप्रिया कुमारी (9 वर्ष) ने स्कूल जाना छोड़ दिया है. घर की आर्थिक स्थिति खराब होने पर बड़ी बेटी प्रियंका मजदूरी करने लगी. एक छोटा भाई अक्षय उरांव (10 वर्ष) है, जो अभी स्कूल जा रहा है.

प्रियंका ने कहा : हमारा परिवार गरीबी में जी रहा है. पिता बीमार है. उसका अस्पताल से दवा चल रही है. लेकिन बीमारी ठीक नहीं हुई है. इसलिए परिवार का जीविका चलाने के लिए वह खुद मजदूरी करती है. प्रियंका ने कहा कि पढ़ने की इच्छा है. लेकिन पैसा नहीं है. अगर प्रशासन मदद करें और हम तीनों बहनों का नामांकन हॉस्टल में करा दें तो हम पढ़ लिखकर कुछ कर सकते हैं.

* बहनों के हॉस्टल में नामांकन की गुहार

प्रियंका आठवीं कक्षा, सोनी छठवीं कक्षा व अनुप्रिया चौथी कक्षा में पढ़कर स्कूल जाना छोड़ दी है. तीनों बहनों के स्कूल जाना छोड़ने की सूचना पर रिश्तेदारों ने उन्हें पढ़ाने की पहल की है. हालांकि रिश्तेदार भी गरीबी में जी रहे हैं. इसलिए प्रियंका के मामा ने तीनों बहनों का किसी हॉस्टल में नामांकन कराने की पहल की है. इसके लिए उन्होंने सीडब्ल्यूसी से तीनों बहनों का हॉस्टल में नामांकन करने की गुहार लगाया है.

मामा ने कहा है कि सोनी व अनुप्रिया को रांची के हॉस्टल व प्रियंका का नामांकन सिसई प्रखंड के कस्तूरबा स्कूल में हो जाये तो ये लोग पढ़ सकती हैं. बेटियों को पढ़ने के लिए सहारा मिल जाये तो घर में पड़े बीमार फुलदेव का इलाज चल रहा है. वह किसी प्रकार जी लेगा. भाई अक्षय अभी स्कूल में पढ़ रहा है. रिश्तेदार उसके खाना पीना की व्यवस्था कर लेंगे. लेकिन बेटियों की पढ़ाई की चिंता है. क्योंकि अब ये बड़ी हो रही है. अगर इन्हें हॉस्टल में नहीं रखा गया तो बहकावे में आकर मानव तस्करी का शिकार हो सकते हैं. इसलिए पढ़ने में मदद की गुहार लगाया है.

* तीनों बहनों की पढ़ाई के लिए आवेदन प्राप्त हुआ है. सीडब्ल्यूसी पहल कर रही है कि इनका नामांकन हॉस्टल में हो. शिक्षा विभाग व कल्याण विभाग की जिम्मेवारी बनती है कि इन बच्चों का हॉस्टल में नामांकन लेकर पढ़ने में मदद करे.

शंभु सिंह, चेयरमैन, सीडब्ल्यूसी गुमला

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