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23 करोड़ से बना 50 बेड का अस्पताल, दो साल में भी नहीं हुआ चालू

डीएमएफटी की सरकारी राशि के दुरुपयोग का बना उदाहरण

गोड्डा जिले में ऐसे करीब एक दर्जन भवन हैं, जिनका निर्माण भारी खर्च के बाद तो कर लिया गया, लेकिन आम जनता को अब तक इसका लाभ नहीं मिल सका है. इनमें सर्वाधिक संख्या स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाए गए अस्पतालों की है. कुछ अस्पतालों को बेहतर बनाने के लिए मोटी रकम खर्च की गई, फिर भी वे बदहाल स्थिति में हैं. ऐसा ही एक उदाहरण महागामा रेफरल अस्पताल में बने 50 बेड वाले विशेष अस्पताल का है, जिसमें डीएमएफटी फंड से लगभग 23 करोड़ रुपये खर्च किए गए. सात लाख की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के उद्देश्य से खरीदे गए उपकरण और सामग्री बिना उपयोग के ही खराब हो रहे हैं. अस्पताल भवन बनकर तैयार है, लेकिन अब तक फर्नीचर और जरूरी संसाधनों की व्यवस्था नहीं हो सकी है. फिलहाल यह अस्पताल वाहनों के खड़े होने का स्थान बन गया है, जिससे मरीजों को भारी परेशानी हो रही है. 30 मई 2023 को इस अस्पताल का शिलान्यास महागामा की विधायक सह मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने किया था. भवन निर्माण झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम द्वारा कराया गया, जिसमें संवेदक को फर्नीचर की आपूर्ति भी करनी थी, जो अब तक नहीं हुई है. सूत्रों के अनुसार, अस्पताल के लिए मैनपावर और डॉक्टरों की भी व्यवस्था नहीं की गई है. गौरतलब है कि गोड्डा सदर अस्पताल और महागामा रेफरल अस्पताल में पिछले दो वर्षों में डीएमएफटी फंड से करीब 50 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. क्या कहते हैं सिविल सर्जन सिविल सर्जन कार्यालय से अस्पताल के भवन एवं फर्नीचर की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी गयी थी. पूरी रिपोट बनाकर जिला कर्यालय को भेज दिया गया है. आगे की कारवायी का इंतजार किया जा रहा है. डॉ खालिद अंजुम, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, महागामा

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