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सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद जीवन में आनंद ही आनंद

जीवन में नौकरी करने वाले ऐसे लोग हैं जो सेवानिवृत्ति के बाद अपने लक्ष्य का निर्धारण कर एक बार फिर से समाज के लोगों के लिए काम करते हैं. सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद ऐसे लोगों को भले ही चुनौतियों का सामना करना पड़ता हो, मगर उनके जीवन में आनंद ही आनंद होता है. ऐसे लोग दूसरों की सेवा कर आनंदित रहते हैं.

आदिवासी समाज को शिक्षित करने का कार्य करते हैं बाबूलाल

राजमहल कोल परियोजना से सेवानिवृत्त बाबूलाल किस्कू ललमटिया के बसडीहा गांव के निवासी हैं. वह 31 जनवरी 2024 को सेवा निवृत्त हुए. अपनी दूसरी पारी में उन्होंने आदिवासी समाज को शिक्षा से जोड़ने का संकल्प लिया है. बाबूलाल किस्कू का मानना है कि अशिक्षा के कारण समाज को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसे शिक्षा से ही दूर किया जा सकता है. उन्होंने यह ठान लिया है कि अब उनका जीवन समाज के लोगों को शिक्षित करने में ही समर्पित रहेगा. वे बच्चों और युवाओं को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करते हैं और अभिभावकों को भी जागरूक करते हैं. उनके प्रयासों से गांव में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ी है और कई बच्चे विद्यालय जाने लगे हैं. स्थानीय लोग भी उनके इस सेवा भाव से प्रेरित होकर सहयोग कर रहे हैं. बाबूलाल किस्कू का यह कार्य समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहा है. उनका मानना है कि शिक्षा ही विकास का आधार है और यदि समाज शिक्षित होगा, तो उसका भविष्य उज्ज्वल होगा.

गरीब मरीजों को निशुल्क इलाज कर सेवा देते हैं डॉक्टर टी. प्रसाद

महागामा के सेवानिवृत्त चिकित्सक डॉ. टी. प्रसाद समाज सेवा के लिए समर्पित हैं. वे क्षेत्र के गरीब और असहाय मरीजों का निशुल्क इलाज करते हैं और दवाइयां भी उपलब्ध कराते हैं. उनके इस सेवा भाव से वे समाज में अत्यंत लोकप्रिय हो गए हैं और लोगों के बीच उन्हें विशेष सम्मान प्राप्त है. डॉ. प्रसाद का मानना है कि चिकित्सा एक ऐसा माध्यम है, जिससे लोगों की जान बचाई जा सकती है और पीड़ितों को राहत दी जा सकती है. उनके कार्यों से क्षेत्र के अनेक मरीजों को न केवल इलाज की सुविधा मिली है, बल्कि उनमें नई आशा भी जगी है. वे मरीजों से आत्मीयता के साथ मिलते हैं, जिससे लोग मानसिक रूप से भी मजबूत महसूस करते हैं. डॉ. टी. प्रसाद बिहार के औरंगाबाद जिले के हंटरगंज अस्पताल से वर्ष 2011 में सेवानिवृत्त हुए थे. सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने जीवन की दूसरी पारी समाज सेवा के लिए आरंभ की. उनका उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों की सेवा कर उनके जीवन को बेहतर बनाना है. उनका यह कार्य समाज के लिए प्रेरणादायक बन गया है.

किसानों को खेती की तकनीक की जानकारी देते हैं मिस्त्री हांसदा

बोआरीजोर प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव दलदली गोपालपुर निवासी मिस्त्री हांसदा राजमहल कोल परियोजना से 30 नवंबर 2022 को सेवानिवृत्त हुए हैं. सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अपनी दूसरी पारी समाज सेवा को समर्पित की है. वे लगातार तीन वर्षों से क्षेत्र के किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी दे रहे हैं. उनका मानना है कि किसान देश के अन्नदाता हैं और यदि वे आधुनिक तरीकों से खेती करें तो उत्पादन में वृद्धि हो सकती है और मुनाफा भी अधिक हो सकता है. श्री हांसदा किसानों को यह बताते हैं कि बंजर और उपजाऊ दोनों प्रकार की जमीन पर किस समय कौन-सी फसल बोई जानी चाहिए, जिससे अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके. वे जैविक खाद, सिंचाई की तकनीक, फसल चक्र और मौसम के अनुसार खेती के तरीके जैसे विषयों पर मार्गदर्शन देते हैं. उनके प्रयासों से क्षेत्र के किसानों में जागरूकता बढ़ी है और खेती के प्रति रुचि भी बढ़ी है. कई किसान उनके बताए तरीकों को अपनाकर लाभ कमा रहे हैं. उनका यह प्रयास ग्रामीण कृषि विकास में एक सकारात्मक भूमिका निभा रहा है.

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