गोड्डा : गलत ढंग से जूनियर शिक्षकों को सीनियर बनाने के मामले में शुरू से ही साजिश रची गयी थी. हालांकि प्रारंभिक तौर पर विभाग द्वारा बनायी गयी सूची सही थी. इसका प्रकाशन प्रखंड स्तर पर कर, आपत्ति संबंधित शिक्षकों से दर्ज करायी गयी थी. प्रारंभिक सूची में सभी ग्रेडों का ध्यान रखा गया था.
वहीं अवलोकन के लिए सभी प्रखंडों में सूची भेजी गयी थी. उसके बाद शिक्षकों ने विभाग को इस अनियमितता को लेकर अवगत कराया था.
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार गड़बड़ी करने में विद्यालय के सहायक शिक्षक भी शामिल हैं. जो विद्यालय नहीं जाकर डीएसइ व डीइओ कार्यालय का चक्कर लगाते रहते हैं. वे पदाधिकारी के चहते बन कर काम करते हैं. पदाधिकारी को नजायज लाभ पहुंचाने का काम ऐसे शिक्षकों द्वारा किया जाता है. इनके गंठजोड़ से ही जूनियर को सीनियर बना कर सीनियर शिक्षकों का पत्ता साफ कर दिया गया.
आरडीडीइ ने जतायी थी आपत्ति
शिक्षकों की सूची को अनुमोदन के लिए दुमका आरडीडीइ के पास भेजा गया था. आरडीडीइ को जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा एक से 46 तक वरीय शिक्षकों की सूची भेजी गयी थी. जिसमे एक से 13 तक नाम को खाली छोड़ दिया गया था. इस सूची में एक से 13 क्रमांक को जांच के घेरे में रख कर अनुमोदन के लिए भेजा गया था. जिस पर आरडीडीइ की ओर से पत्रंक 1037 तथा 1098 दिनांक 3.11.14 के तहत आपत्ति दर्ज कर यह भेजा गया था.
साथ ही निर्देश दिया गया था कि किसी भी हाल में शिक्षकों की वरीयता का हनन नहीं किया जाय. जांच के बाद शिक्षकों की वरीयता सूची प्रकाशित की जाये. लेकिन विभाग ने पूरे मामले पर परदा डालते हुए वरीय शिक्षकों के लिस्ट की जगह जूनीयर शिक्षकों को जोड़ दिया गया. इसके बाद ही मामला गरमा गया.
जिला शिक्षा अधीक्षक ने रखा अपना पक्ष : मामले पर जिला शिक्षा अधीक्षक कमला सिंह ने अपना पक्ष रखा है. श्री सिंह ने कहा कि शिक्षकों के प्रोन्नति के लिए जिला शिक्षा समिति पूरी तरह से जिम्मेवार है ना कि जिला शिक्षा अधीक्षक. शिक्षकों के प्रोन्नति से संबंधित जो भी निर्णय लिये गये हैं वे सरकारी नियमानुसार लिए गये हैं.
समिति द्वारा पुनर्समीक्षा भी की गयी है. बावजूद शिक्षकों ने जिला शिक्षा अधीक्षक को फंसाने का काम किया है. बताया कि ऊन पर लाखों की राशि लेकर सूची गलत ढंग से अनुमोदित करने संबंधी लगाये गये सारे आरोप बेबुनियाद हैं. इसकी जांच उपायुक्त से करायी जा सकती है.