नाटक का कथानक रंगमंच से जुड़े कलाकारों के इर्द-गिर्द घूमता है कि किस प्रकार वे अपने दैनिक जीवन की कठिनाइयों और परिवार का उलाहना सुनते हुए नाटक करते हैं. वे संस्कृति विभाग के निदेशक के ठसक का शिकार होते हैं. कलाकारों से उम्दा प्रदर्शन किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा. नीतीश आनंद, सुजाता कुमारी, रवीश आनंद, अंशिका आनंद, संस्कृति आनंद, शुभम कुमार, अनुराग सागर, अनुष्का सिन्हा, इंद्रजीत मिश्रा, संदीप सिन्हा, अर्पिता ने उम्दा अभिनय किया. नाटक में संगीत और लाइट विकास रंजन ने दिया.
कलाकारों का किया गया सम्मानित
संयोजक सह अधिवक्ता संघ के महासचिव चुन्नूकांत ने नाटक की सराहना करते हुए कलाकारों की हौसला अफजाई करते हुए आर्थिक रूप से सम्मानित किया. इसके साथ संरक्षक राजेंद्र बगेड़िया, उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार सिन्हा, कोषाध्यक्ष विनय बक्शी, सह संयोजक सुनील भूषण, कार्यालय प्रभारी मनोज मुन्ना, आजीवन सदस्य राजीव रंजन व संजीव रंजन आदि ने भी आर्थिक रूप से कलाकारों को सम्मानित किया. राजेंद्र बगडिया ने कहा कि सभी कलाकारों ने अपनी अभिनय क्षमता से नाटक को जीवंत कर दिया है. यह नाटक देशभर में परचम लहरायेगा. उद्घाटन कला संगम के संरक्षक के अलावा उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार सिन्हा, सचिव सतीश कुंदन, संयोजक चुन्नुकांत, संगीत प्रभारी अरित चंद्रा, सह सचिव मदन मंजर्वे, राजीव रंजन ने किया. धन्यवादज्ञापन कोषाध्यक्ष विनय बक्शी में किया. मौके पर संस्था के अजय शिवानी, अशोक गुप्ता, संजय सिन्हा, अजय गुप्ता, धरणीधर प्रसाद, सिद्धांत रंजन, निवेश सिन्हा, आकाश रंजन, सुनील मंथन शर्मा, अनुपम किशोर, स्वाति सिन्हा, अनुपमा सिन्हा, नेहा सिन्हा, अंजलि भूमि, अंजलि सिन्हा, राजेश अभागा सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

