गिरिडीह. कुछ ही दिनों में गर्मी आने वाली है, पर गिरिडीह कॉलेज में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है. आठ हजार विद्यार्थियों के इस कॉलेज में तीन चापाकल और एक कुआं है. इनमें दो चापाकल खराब और एक से गंदा पानी आता है. कुआं का पानी पीने लायक नहीं. परिसर में एक पानी टंकी भी है, जिसके सारे नल ग़ायब हो गये हैं. ऐसे में परेशान विद्यार्थी पानी के लिए तरस जाते हैं और मजबूरन बाहर से पानी खरीदना पड़ता है. कुछ दिनों पूर्व कॉलेज के प्राचार्य से शिकायत करने के बाद टंकी में नल तो लगवा दिया गया था, पर दो दिन बाद ही वह भी खराब हो गया.
शौचालय की भी व्यवस्था नहीं
कॉलेज में एक ओर जहां शौचालय में पानी नहीं है, तो दूसरी ओर छात्राओं के लिए एकमात्र बने शौचालय को भी गोदाम बना दिया गया है. साथ ही शौचालय के गेट पर ताला भी लगा दिया गया है. इससे छात्राएं काफी परेशान हैं. इसके अलावा जो शौचालय हैं भी, तो वह पूरे गंदे हैं. इनकी कभी भी साफ-सफाई नहीं करायी जाती है. हाल यह हो गया है की अब वे बंद ही रहते हैं. इस कारण कॉलेज आनेवाली छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से आने वाली को इन समस्याओं से काफी जूझना पड़ता है.
विद्यार्थियों ने कहा
छात्रा मोली कुमारी ने कहा कि गिरिडीह महाविद्यालय में कहीं भी पीने का स्वच्छ पानी नहीं है ओर छात्राओं का वॉशरूम भी पूरा गंदा और बंद रहता है. इससे काफी परेशानी होती है. आरती भदानी ने कहा कि कॉलेज का कैंपस तो बड़ा है, पर कहीं भी पीने का पानी नहीं है. प्यास लगने पर पानी खरीदना पड़ता है. विद्यार्थी के लिए रोज रोज पानी खरीदना संभव नहीं है. मुन्ना पंडित ने कहा कि महाविद्यालय में कहीं भी पीने का पानी नहीं है और कक्षाएं भी नियमित नहीं होती हैं. इससे हम सभी को काफी दिक्कत होती है. पानी बाहर से लेकर पीना पड़ता है.
शीघ्र समस्या होगी दूर
पंप का मोटर खराब होने के बाद इसे बनवाने के लिए भेज दिया गया था, पर पुराना होने के कारण यह बार-बार ख़राब हो जाता था. इसलिए अब नया मोटर मंगवाया जा रहा है. पांच दिनों के अंदर पानी की समस्या दूर हो जायेगी. शौचालय हमेशा खुला रहता है. समय-समय पर उसकी साफ़-सफाई भी करवाई जाती है.डॉ अनुज कुमार, प्राचार्य गिरिडीह कॉलेज, गिरिडीह
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