गढ़वा. गढ़वा झारखंड ऑफिसर्स टीचर्स एंड एम्प्लॉयी फेडरेशन के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार ने शिक्षकों को बिना टेट पास किये प्रमोशन नहीं देने की नीति पर कड़ी आपत्ति जतायी है. उन्होंने कहा कि इस नीति का उद्देश्य भले ही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना हो, लेकिन इसके कई नकारात्मक पहलू हैं. सुशील कुमार ने कहा कि जो शिक्षक बीस से पच्चीस साल तक सेवा दे चुके हैं, उनके अनुभव की अनदेखी करना और उन्हें अनावश्यक रूप से टेट परीक्षा उत्तीर्ण करने के दबाव में रखना अनुचित है. इससे न केवल प्रमोशन प्रक्रिया में देरी हो रही है, बल्कि नौकरी से हटाने और जबरन अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने जैसे प्रावधान भी न्यायसंगत नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस आदेश को 2009 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर लागू नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि उस समय टीईटी की अनिवार्यता नहीं थी और उनकी नियुक्ति नियमावली एवं आवश्यक शर्तों के तहत हुई थी. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस नियम को वापस नहीं लिया गया तो राज्य के करीब 40 हजार शिक्षक गंभीर रूप से प्रभावित होंगे. सुशील कुमार ने कहा कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा टेट की अनिवार्यता से जुड़े निर्णय के बाद शिक्षकों में भय और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. उन्होंने आग्रह किया कि इस नीति और कानून को लागू करने से पहले उच्चतम न्यायालय को इसके प्रभावों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए और आवश्यक संशोधन करने चाहिए.
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