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डेढ़ माह से अधिवक्ताओं के बहिष्कार के बीच चल रहा डीसी कोर्ट

अधिवक्ता संघ और उपायुक्त के बीच टकराव गहराया, पक्षकार खुद कर रहे पैरवी

अधिवक्ता संघ और उपायुक्त के बीच टकराव गहराया, पक्षकार खुद कर रहे पैरवी पीयूष तिवारी, गढ़वा उपायुक्त दिनेश कुमार यादव और अधिवक्ता संघ के बीच जारी विवाद ने अजीबोगरीब स्थिति खड़ी कर दी है. अधिवक्ताओं द्वारा उपायुक्त न्यायालय का डेढ़ माह से बहिष्कार किये जाने के बावजूद डीसी का कोर्ट लगातार चल रहा है. यहां सीधे पक्षकार उपस्थित होकर खुद अपनी पैरवी कर रहे हैं. इसी बीच उपायुक्त की ओर से कई मामलों में जजमेंट भी पारित किया जा चुका है. विवाद की शुरुआत 16 जुलाई को हुई थी, जब उपायुक्त पर वरिष्ठ अधिवक्ता शंभूनाथ दूबे के साथ अमर्यादित व्यवहार करने का आरोप लगा. इस घटना के बाद अधिवक्ता संघ ने डीसी कोर्ट का बहिष्कार शुरू कर दिया. अधिवक्ताओं का कहना है कि संघ के अध्यक्ष भृगुनाथ चौबे के नेतृत्व में जब प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त से मिलने गया तो डीसी ने उनसे मुलाकात तक नहीं की. 400 मामले लंबित, आधे में पक्षकार अनुपस्थित उपायुक्त न्यायालय में इस समय लगभग 400 मामले लंबित हैं. इनमें से करीब 200 मामलों की सुनवाई प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को की जा रही है. इनमें भी आधे मामलों में पक्षकार सीधे पैरवी नहीं कर रहे. अधिवक्ताओं के बहिष्कार के कारण संघ का पांच रुपये का हाजरी फार्म भी बंद हो गया है, जिससे राजस्व की हानि हो रही है. अधिवक्ताओं को न्यायालय में आने से नहीं रोका है : डीसी इस संबंध में उपायुक्त दिनेश कुमार यादव ने कहा कि उन्होंने अधिवक्ताओं को अपने न्यायालय में आने से रोका नहीं है. उनकी किस बात से अधिवक्ताओं में नाराजगी है, इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं है. न्यायालय में पक्षकार का होना सबसे महत्वपूर्ण होता है. उन्होंने कहा कि वे न्यायालय का कार्य लगातार कर रहे हैं और जजमेंट भी पारित हो रहा है. बहिष्कार अवधि के सारे जजमेंट खारिज करने पड़ेंगे : भृगुनाथ चौबे इस संबंध में अधिवक्ता संघ गढ़वा के अध्यक्ष भृगुनाथ चौबे ने कहा कि वे 10 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है, जो जल्द ही मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से मुलाकात करेगी. इस दौरान अधिवक्ताओं के साथ हुए दुर्व्यवहार से उन्हें अवगत कराया जायेगा. बिना अधिवक्ताओं के न्यायालय नहीं चलाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि एडवोकेट पीलर ऑफ जस्टिस होता है. जिस दिन अधिवक्ताओं का बहिष्कार समाप्त हो जायेगा, उस दिन इस दौरान लिये गये सारे जजमेंट को खारिज करने पड़ेंगे. क्या कहता है कानून इस संबंध में गढ़वा व्यवहार न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय कुमार पांडेय ने कहा कि बिना अधिवक्ता के मामले की पैरवी करने की रोक कानून में नहीं है. लेकिन पक्षकार को न तो कानून की जानकारी होती है और न ही कागजातों की समझ होती है. ऐसी परिस्थिति में वह अपने पक्ष की बात सही तरीके से न्यायालय में नहीं रख सकता है. इस वजह से उसका पक्ष प्रभावित हो सकता है. श्रीपांडेय ने कहा कि अधिवक्ता ही किसी भी पक्षकार की बातों को कानूनी तरीके से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करता है.

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