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क्रशिंग प्लांट की नीलामी के पश्चात कटिंग पर सेल प्रबंधन ने लगायी रोक

भवनाथपुर स्थित स्टील अॉथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के क्रशिंग प्लांट से संबंधित गतिविधियों पर अचानक लगी रोक कई सवालों को जन्म दे रही है

भवनाथपुर में एशिया का सबसे बड़ा स्थापित हुआ था सेल का क्रसिंग प्लांट विजय सिंह, भवनाथपुर प्रतिनिधि, भवनाथपुर भवनाथपुर स्थित स्टील अॉथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के क्रशिंग प्लांट से संबंधित गतिविधियों पर अचानक लगी रोक कई सवालों को जन्म दे रही है. सेल प्रबंधन ने प्लांट कटिंग के कार्य पर बिना किसी स्पष्ट कारण के 2 जून 2025 को रोक लगा दी, जबकि प्लांट की नीलामी 30 नवंबर 2024 को एनडी एलोए कंपनी को 2.80 करोड़ रुपये में की गयी थी. कंपनी को 30 जून 2025 तक प्लांट कटिंग की अनुमति थी. यह प्लांट भारत ही नहीं, एशिया का सबसे बड़ा क्रशिंग प्लांट माना जाता था, जिसे भवनाथपुर में स्थापित किया गया था. इसके संचालन के लिए घाघरा, सरैया और गुड़गांवा में चूना पत्थर खदान, तथा तुलसीदामर में डोलोमाइट खदान खोली गयी थी, लेकिन 2013 में चूना पत्थर खदान और 2020 में डोलोमाइट खदान बंद हो गये, जिसके बाद सेल ने लीज पर ली गयी लगभग 1178 हेक्टेयर भूमि को राज्य सरकार को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की. नीलामी से अधिक सामग्री प्लांट से हटा ली इसी क्रम में क्रशिंग प्लांट, प्रशासनिक भवन, मशीनें व शेड हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई और प्लांट की नीलामी की गयी. लेकिन सूत्रों के अनुसार एनडी एलोए कंपनी के कर्मियों ने नीलामी से अधिक सामग्री प्लांट से हटा ली, जिसे बोकारो स्टील प्लांट के उच्च अधिकारियों ने गंभीरता से लिया. जानकारी मिलते ही दो जून को भवनाथपुर में खान प्रबंधक भगवान पाणिग्रही के निर्देश पर काम पर रोक लगा दी गयी. प्लांट कटिंग के खिलाफ लंबे समय तक आंदोलन हुआ था इससे पहले भी प्लांट कटिंग के खिलाफ लंबे समय तक आंदोलन हुआ था. विस्थापित संघर्ष समिति ने 54 दिनों तक प्रशासनिक भवन के सामने प्रदर्शन किया, जिसके बाद झामुमो जिलाध्यक्ष व अन्य नेताओं के नेतृत्व में प्रदर्शन जारी रहा. एक मई मजदूर दिवस पर कार्य के दौरान बिहार के एक मजदूर की गिरकर मौत भी हुई थी, जिसके बाद एसडीओ प्रभाकर मिर्धा ने अस्थायी रोक लगायी, लेकिन कार्य दोबारा शुरू कर दिया गया. अब जब दोबारा काम बंद हुआ है, तो सेल के अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते नज़र आ रहे हैं. कार्मिक प्रबंधक सह भू संपदा पदाधिकारी बुल्लू दिग्गल ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम काम क्यों रुका, वहीं खान प्रबंधक भगवान पाणिग्रही ने भी जानकारी होने से इनकार किया. स्थिति यह है कि न तो स्थानीय प्रशासन और न ही सेल प्रबंधन कोई स्पष्ट उत्तर दे पा रहे हैं। यदि स्थिति स्पष्ट नहीं की गई तो इससे लीज हस्तांतरण प्रक्रिया में बाधा, स्थानीय जनाक्रोश, और विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है.

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