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संगीत से भी इलाज संभव

– विनोद पाठक – गढ़वा : संगीत से बिगड़े हुए समाज को ठीक किया जा सकता है. यही नहीं, संगीत से न सिर्फ मनुष्य के विभिन्न रोगों का इलाज किया जा सकता है, बल्कि जीवित व्यक्ति को मारा जा सकता है और मृत व्यक्ति को जिंदा किया जा सकता है. यह दावा है सबसे अधिक […]

– विनोद पाठक –

गढ़वा : संगीत से बिगड़े हुए समाज को ठीक किया जा सकता है. यही नहीं, संगीत से न सिर्फ मनुष्य के विभिन्न रोगों का इलाज किया जा सकता है, बल्कि जीवित व्यक्ति को मारा जा सकता है और मृत व्यक्ति को जिंदा किया जा सकता है.

यह दावा है सबसे अधिक समय तक तबला वादन में विश्व कीर्तिमान स्थापित कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करानेवाले एवं संगीत में प्रवीण तक की पढ़ाई किये रिंकू आदर्श का.

पटना के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ बीएन उपाध्याय के इकलौते पुत्र रिंकू आदर्श नौ जून वर्ष 2000 को लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम में विश्व चैंपियन घोषित किये गये हैं. उन्होंने तबले में प्रवीणता हासिल करने के लिए गुरु-शिष्य परंपरा के अनुसार मशहूर तबला वादक पंडित गंगा दयाल पांडेय, बालू खान, सुलेमान खान, बनारस के गुदई महाराज, उस्ताद जाकिर हुसैन, पटना के किशोर सिन्हा, विश्व प्रसिद्ध अल्लारखा खां आदि से तबले के गुरु से सीखे हैं.

साथ ही विभिन्न प्रतियोगिता में शामिल होकर कई पुरस्कार भी ग्रहण किये हैं. इस समय वे भारत सरकार द्वारा आयोजित संगीत कार्यक्रम में देश के विभिन्न शहरों व विदेशों में भाग लेते रहे हैं. एक दिसंबर को गढ़वा में आयोजित बहुभाषीय ब्राrाण समाज के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने के लिये आये हुए थे.

इस दौरान उन्होंने प्रभात खबर के साथ विशेष बातचीत की. इस दौरान श्री आदर्श ने कहा कि कड़ी मेहनत व सच्ची लगन से सब कुछ हासिल किया जा सकता है. उन्होंने तीन साल की उम्र में जब रेडियो सुना, तभी से टेबुल पर थाप लगाना शुरू कर दिया था. सात साल के हुए, तो अपने पिता से जिद कर तबला खरीदवाया और उंगली फेरना शुरू कर दिया. बाद में पिता की इच्छा पर यूक्रेन से एमबीबीएस तक की पढ़ाई की, लेकिन तबला बजाना नहीं छोड़ा.

बाद में तबले से प्रभावित लोगों की सलाह पर चिकित्सा की सेवा की बजाय तबला को ही साधना शुरू कर दिया. रिंकू आदर्श ने बताया कि वे अपने जीवन में विभिन्न नामी गिरामी हस्तियों के साथ संगत करने के साथ भारत सरकार द्वारा आयोजित अनेक कार्यक्रमों में शिरकत करने गौरव प्राप्त करते रहे हैं. लेकिन उनका असली लक्ष्य तब पूरा होगा, जब उनके तबला की थाप दुनिया के हर कोनों तक पहुंच जाये. उन्होंने कहा कि आज दुनिया को सही संगीत की जरूरत है.

इस समय जो पाश्चात्य संगीत और कंप्यूटराइज्ड म्यूजिक सुना जा रहा है. उससे लोगों की मानसिक चिंतन खराब हो गया है. जब तक यह स्थिति रहेगी, समाज में सुधार संभव नहीं है. समाज की गति साढ़े आठ मात्र पर स्थित हो गयी है. इसे आठ मात्र पर लाना होगा. तभी समाज की व्यवस्था सुधर सकती है.

उन्होंने कहा कि तबला का सही साधक हो, तो इससे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप सहित विभिन्न रोगों को ठीक किया जा सकता है. अफसोस है कि आज अच्छे तबलावादक की कमी हो गयी. इसको पूरा करने के लिए इस धरोहर को बचाना होगा.

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