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दुकानदार 201 महीने का किराया जमा करें

दुकानदार 201 महीने का किराया जमा करेंमामला मझिआंव में बाजार समिति द्वारा बनाया गया दुकान के आवंटन व लगाये गये किराये का मझिआंव(गढ़वा). मझिआंव बाजार समिति में आवंटित दुकानों को नहीं दिये जाने के बाद भी गढ़वा बाजार समिति द्वारा 17 दुकानों का 201 माह का किराया जमा करने के लिए कृषि उत्पादन बाजार समिति […]

दुकानदार 201 महीने का किराया जमा करेंमामला मझिआंव में बाजार समिति द्वारा बनाया गया दुकान के आवंटन व लगाये गये किराये का मझिआंव(गढ़वा). मझिआंव बाजार समिति में आवंटित दुकानों को नहीं दिये जाने के बाद भी गढ़वा बाजार समिति द्वारा 17 दुकानों का 201 माह का किराया जमा करने के लिए कृषि उत्पादन बाजार समिति गढ़वा के सचिव के द्वारा निर्देश दिया गया है. इस संबंध में समिति के पत्रांक 874 दिनांक 10-09-2015 के अनुसार एक दिसंबर 1998 से 31 दिसंबर 2012 तक प्रतिमाह 100 रूपये तथा एक जनवरी 2013 से 31 अगस्त 2015 तक प्रतिमाह 200 रूपया किराया के हिसाब से प्रति दुकानदारा प्रति दुकानदार 23300 रूपया जमा करने का निर्देश दिया गया है और कहा गया है कि एक दिसंबर 1998 को दुकान का प्रभार देने के बाद भी किराये की राशि जमा नहीं करना एकरारनामे का उल्लंघन है. चेतावनी देते हुए कहा गया है कि किराया जमा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी. इस संबंध में बलवंत मेहता, लखन सिंह, सत्यनारायण साव, विश्वनाथ प्रसाद, प्रदीप साव, रामचंद्र दूबे एवं शंकर राम सहित सभी 17 दुकानदारों ने बाजार समिति पर आरोप लगाते हुये कहा कि एक दिसंबर 1998 को दुकान का एकरार होने के बाद दुकानों पर नंबर लगाने के लिए विवाद छिड़ गया कि नंबर उतर से प्रारंभ होगा और कुछ दुकानदारों का कहना था कि नंबर दक्षिण से शुरू होगा. इसी बीच विवाद के कारण किसी भी दुकनदार द्वारा दुकान हैंडओवर नहीं लिया गया. उल्लेखनीय है कि दुकान बनने के बाद सब्जी विक्रेताओं द्वारा सरकारी दुकान पर अवैध कब्जा किया गया था. जिसे बाजार समिति द्वारा खाली नहीं कराया गया था. इस संबंध में गढ़वा बाजार समिति द्वारा जब 2012 में किराया का नोटिस दिया गया, तो सभी दुकानदारों द्वारा आंवंटित दुकानों को अतिक्रमण मुक्त कराकर उन्हें दिलाने की मांग की गयी थी. तत्कालीन एसडीओ चंद्रमा सिंह द्वारा जांचोपरांत अपने कनीय पदाधिकारी को तत्काल कारवाई करते हुए एकरारनामे के अनुसार दुकान दिलाने का निर्देश दिया गया था लेकिन आज तक इस निर्देश का अनुपालन नहीं किया गया. पिछले 10 वर्षों से उक्त सभी दुकान जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है. सभी दुकानदारों ने नोटिस के विरोध में न्यायालय का शरण लेने का मन बनाया है. साथ ही उच्च अधिकारियों से उक्त दुकानों की वर्तमान स्थिति की जांच करने की भी मांग की गयी है.

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