बहरागोड़ा. पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा प्रखंड को ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है. यहां साल में दो बार धान की खेती होती है. हालांकि, सरकारी उपेक्षा के कारण करीब आधे खेत परती रह जाते हैं. दरअसल, सभी क्षेत्र में सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था नहीं है. यहां के किसान काफी मेहनती हैं. निजी सबमर्सिबल व बीज-खाद खरीद कर खेती करते हैं. प्रखंड के लगभग 18,000 परिवारों की आय का मुख्य स्रोत खेती है. यहां के धान विभिन्न राज्यों में जाता है. प्रखंड में लगभग 4000 सिंचाई नलकूप है. इस बार 18,062 हेक्टेयर में गरमा धान की खेती का लक्ष्य है. पूर्वांचल समेत बहरागोड़ा के कई जगहों पर बेहतर खेती हुई है. धान पकने के कगार पर है.
कई गांवों में नहीं हो पाती है खेती
बहरागोड़ा प्रखंड की दर्जन भर पंचायत के कई गांवों में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है. उक्त गांवों के खेत परती पड़े हैं. खेतों में किसानों ने गोबर डाल रखा है. बारिश होने पर हल चलायेंगे. वर्षों से ऐसा चल रहा है. किसान दर्जनों बार सिंचाई व्यवस्था की मांग कर चुके हैं. अब खेत होते हुए पाइपलाइन बिछायी जा रही है. प्रखंड की पाटपुर, मौदा, बनकाटी, पाथरी, मानुषमुड़िया, पाथरा, सांड्रा, माटिहाना, बहुलिया आदि दर्जन भर पंचायत के गांव में पानी की व्यवस्था नहीं है. इन जगहों पर आंशिक खेती हुई है.क्या कहते हैं किसान
किसानों का कहना है कि अगर सिंचाई की व्यवस्था हो, तो खेती से बेहतर आय होगी. कई गांव में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में किसान खेती से वंचित रह जाते हैं. किसान भगवान भरोसे खेती करने को विवश हैं.–कोट–
जहां सिंचाई की व्यवस्था नहीं है, उन जगहों पर खेती नहीं हो पायी है. इस बार लगभग 14000 हेक्टेयर में गरमा धान की खेती हुई है. क्षेत्र के किसान कुसुम योजना के तहत सबमर्सिबल के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.– संजय कुमार, प्रभारी कृषि पदाधिकारी, बहरागोड़ा
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