बहरागोड़ा : बहरागोड़ा के केशरदा स्थित हरिजन टोला का हरिजन युवक जीतेन कालिंदी (32) रोजगार की तलाश में अपने साथियों के साथ त्रिपुरम (तमिलनाडु) गया था. वहां पर वह डेंगू का शिकार हुआ. इससे मुक्ति मिली, तो पैर में घाव हो गया. वहां पर घाव का ऑपरेशन हुआ और उसकी स्थिति बिगड़ी तो समाज के लोग चंदा संग्रह कर 75 हजार रुपये खर्च कर 25 जनवरी की रात उसे घर लाया. फिलहाल जीतेन बिस्तर पर बेसुध पड़ा है. चल फिर नहीं सकता है.
शरीर कमजोर हो गया है. उसकी स्थिति गंभीर हो रही है, मगर उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं है. जीतेन कालिंदी अपने परिवार को अकेला कमाने वाला सदस्य है. घर में विधवा बूढ़ी मां मालती कालिंदी है. पत्नी रिंकू कालिंदी और तीन संतान हैं. जीतेन ही अपने परिवार का भरण पोषण करता था. इस स्थिति में उसकी पत्नी लाचार हो गयी है. इलाज की बात तो दूर, परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. उसकी पत्नी और पड़ोसियों ने बताया कि जीतेन त्रिपुरम में एक गंजी फैक्टरी में काम करता था. वहां पर वह डेंगू का शिकार हो गया. इलाज हुआ, तो डेंगू से मुक्ति मिली. इसके बाद उसके पैर में घाव हुआ.
घाव का ऑपरेशन किया गया, मगर इसके बाद उसकी स्थिति बिगड़ने लगी. वहां से उसे एक वाहन पर घर लाया गया. वाहन का भाड़ा के रूप में 75 हजार का भुगतान करना पड़ा. रिंकू कालिंदी ने कहा कि पति बिस्तर पर पड़े हैं. इलाज के लिए पैसे नहीं हैं. गरीबी के कारण परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. रिंकू कालिंदी ने जन प्रतिनिधियों तथा समाजसेवियों से मदद की गुहार लगायी है, ताकि उसके पति की बीमारी ठीक हो सके.