बहरागोड़ा : गुरुवार को बहरागोड़ा प्रखंड कार्यालय में प्रमुख और उप प्रमुख के चुनाव को लेकर खासा गहमा-गहमी थी. झामुमो और भाजपा के नेता और समर्थकों की भीड़ लगी थी. यह चुनाव दलीय आधार पर तो नहीं था, मगर अपने समर्थित पंसस को प्रमुख और उप प्रमुख बनाना झामुमो विधायक कुणाल षाड़ंगी और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था.
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झामुमो जीता और भाजपा हारी
बहरागोड़ा : गुरुवार को बहरागोड़ा प्रखंड कार्यालय में प्रमुख और उप प्रमुख के चुनाव को लेकर खासा गहमा-गहमी थी. झामुमो और भाजपा के नेता और समर्थकों की भीड़ लगी थी. यह चुनाव दलीय आधार पर तो नहीं था, मगर अपने समर्थित पंसस को प्रमुख और उप प्रमुख बनाना झामुमो विधायक कुणाल षाड़ंगी और भाजपा के […]
यही कारण है कि इन दोनों दलों के नेताओं ने प्रमुख और उप प्रमुख बनाने के लिए पंसस की संख्या हासिल करने के लिए जोड़-तोड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ा था. स्थानीय भाजपा नेताओं पर विधान सभा चुनाव से लेकर अब तक (छात्र संघ और पंचायत चुनाव) सभी चुनाओं में मिली हार का सिलसिला समाप्त करने का जुनून सवार था, तो झामुमो नेताओं पर जीत की लय बनाये रखने की सनक सवार थी.
लिहाजा, यहां पर प्रमुख और उप प्रमुख का चुनाव घाटशिला अनुमंडल में सबसे रोचक रहा, मगर अंतत: इस खेल में झामुमो जीत गया और भाजपा एक बार फिर हार गयी. इस चुनाव को लेकर पिछले कई दिनों से यहां का राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ था. जोड़ और तोड़ का खेल परवान पर था. झामुमो और भाजपा के नेता प्रमुख और उप प्रमुख के लिए पर्याप्त संख्या होने का दावा कर रहे थे. पंचायत समिति सदस्यों को अपने पक्ष में करने के लिए शतरंजी चाल चली जा रही थी.
प्रतिद्वंद्विता का आलम यह था कि दोनों ही दलों के नेताओं ने अपने समर्थित पंसस को अज्ञातवास में रखा, ताकि बाजी उनके हाथ से निकले नहीं, मगर अंतत: भाजपा को मात खानी पड़ी. प्रमुख और उप प्रमुख पद से झामुमो समर्थित पंसस ही जीते. अलबत्ता, अंतिम समय में भाजपा नेताओं ने भी खूब जोर लगाया. यही कारण है कि प्रमुख पद से सिर्फ वोट से और उप प्रमुख पद से तीन वोट से हार मिली. वहीं विधायक कुणाल षाड़ंगी का कुशल प्रबंधन एक बार कारगर साबित हुआ.
चुनावी रणनीति बनाने और जोड़-तोड़ में विधायक कुणाल षाड़ंगी एक बार फिर भाजपा नेताओं पर भारी पड़े. झामुमो की इस जीत के एक प्रमुख फैक्टर झामुमो में शामिल भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष निर्मल दूबे भी रहे. श्री दूबे की पत्नी रूमा रानी दूबे उप प्रमुख पद की उम्मीदवार थी. लिहाजा, श्री दूबे ने पति का धर्म निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ा. लिहाजा, भाजपा अपनी हार के सिलसिले पर विराम नहीं लगा सकी और झामुमो ने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा.
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