घाटशिला : नक्सल प्रभावित पश्चिम बंगाल सीमा से सटे घाटशिला प्रखंड में कड़ी सुरक्षा में शनिवार को धान कटनी के मौसम में लोकतंत्र का महापर्व शांतिपूर्ण तरीके से मना. वोटरों ने निर्भिक और निडर होकर मतदान किया. कहीं से भी किसी अप्रिय घटना के समाचार नहीं मिले. धान की कटनी और ढुलाई छोड़ कर वोटर झुमते हुए मतदान केंद्र पहुंचे और वोट डाला.
एक बार फिर बुलेट पर बैलेट भारी पड़ा. अपने गांव की सरकार गठन के लिए वोटर भयमुक्त होकर अपने घरों से निकले और अपने मताधिकार का प्रयोग किया. मतदान को लेकर उत्साह का आलम यह रहा कि नि:शक्त और वृद्धृ वृद्धाएं भी खुद को रोक नहीं पाये. ग्रामीण इलाके में सुबह 10 बजे तक अधिकांश बूथों पर वोट का प्रतिशत 50 पार कर गया. अपने मताधिकार का प्रयोग के लिए बूथों पर वोटरों की सुनामी देखी गयी. सबसे बीहड़ पंचायत झांटीझरना में 80 प्रतिशत मतदान हुआ.
इस बात की आशंका था कि पश्चिम बंगाल सीमा से सटे नक्सली प्रभाव वाले बीहड़ क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत कम होगा. मगर यह गलत साबित हुआ. इस क्षेत्र में उत्साहित होकर वोटर अपने घरों से निकले और बूथों पर जाकर वोट डाला. कई गांवों के वोटर पांच से सात किमी की दूरी पैदल तय कर बूथ तक गये. वृद्ध-वृद्धाओं और नि:शक्त को गोद में उठा कर बूथों तक ले जाया गया.
सबसे बीहड़ पंचायत झांटीझरना समेत आसना, काड़ाडुबा, बांकी, बड़ाजुड़ी, भदुआ, कालचिती, बाघुडि़या, हेंदलजुड़ी, जोड़िशा पंचायत के गांवों के वोटरों ने गजब उत्साह दिखाया. सुबह से ही बूथों पर लाइन लगी. दोपहर 11 बजे तक भीड़ कम हो गयी. मतदान कर वोटर धान की कटनी और ढुलाई में लग गये. कई बूथों पर तो दिन के 11 बजे तक 60 प्रतिशत मतदान हो गया.