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Dumka News: विवि के मुख्य गेट पर जड़ा ताला, शिक्षकों-विद्यार्थियों का प्रवेश रोका

सोमवार को विश्वविद्यालय मुख्यालय समेत सभी अंगीभूत महाविद्यालयों के मुख्य द्वारों पर ताला जड़ दिया गया.

संवाददाता, दुमका

सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध सभी अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकेतर कर्मचारियों ने अपने आंदोलन को उग्र रूप दे दिया है. सातवें वेतनमान के तहत वेतन भुगतान की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल और तालाबंदी आंदोलन के दूसरे चरण में सोमवार को विश्वविद्यालय मुख्यालय समेत सभी अंगीभूत महाविद्यालयों के मुख्य द्वारों पर ताला जड़ दिया गया. इसके परिणामस्वरूप सभी शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्य पूरी तरह से ठप हो गए. आंदोलन के तहत विश्वविद्यालय परिसर में न तो छात्रों और न ही शिक्षकों को प्रवेश करने दिया गया. यह आंदोलन अपने 14वें दिन पर पहुंच गया है, और कर्मचारी अपनी मांगों पर दृढ़ता से डटे हुए हैं. ठंड और रिमझिम बारिश के बावजूद आंदोलनकारी मुख्य द्वार पर दरी बिछाकर बैठे रहे और राज्य सरकार तथा विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रति नाराजगी जताते हुए जोरदार नारेबाजी करते रहे. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कुलसचिव डॉ. राजीव कुमार, परीक्षा नियंत्रक डॉ. जयकुमार साह और ओएसडी परीक्षा डॉ. इंद्रनील मंडल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने धरना स्थल पर पहुंचकर कर्मचारियों से परीक्षा संबंधी आवश्यक कार्यों को संचालित करने का अनुरोध किया. हालांकि, कर्मचारियों के संघ के महासचिव नेतलाल मिर्धा ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया. श्री मिर्धा ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया शिक्षकेतर कर्मचारियों के प्रति सदैव उदासीन रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारियों के हितों की अनदेखी की जा रही है. श्री मिर्धा ने यह भी कहा कि यदि आंतरिक स्रोतों से सातवें वेतनमान का भुगतान प्रारंभ कर दिया जाए तो सभी समस्याओं का समाधान संभव है. कर्मचारी संघ के अध्यक्ष परिमल कुंदन ने आंतरिक स्रोतों से वेतन भुगतान की मांग पर विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता पर गहरा दुख व्यक्त किया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बिना सातवें वेतनमान का भुगतान किए विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ सहयोग करना संभव नहीं है. कर्मचारियों ने “पहले वेतन, फिर कार्य” का नारा लगाते हुए अपनी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने की घोषणा की. सभी कर्मचारियों ने एक सुर में कहा कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक हड़ताल पर डटे रहेंगे. कर्मचारियों के इस आंदोलन ने विश्वविद्यालय और उससे जुड़े महाविद्यालयों के शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने अब यह एक बड़ी चुनौती बन गयी है कि वे शिक्षकेतर कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए तत्काल कोई ठोस कदम उठाएं.

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एसकेएमयू के शिक्षकेतर कर्मचारियों का आंदोलन हुआ तेज

विश्वविद्यालय में कामकाज रहे ठप, गेट पर ही बैठे रहे कर्मचारी

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