कचरे के पहाड़ से मुक्ति दिलाने की कवायद पर ग्रहण टेंडर फाइनल हुए बीत चुका है 11 माह का वक्त दुमका. दुमका को कचरे से निजात दिलाने का सपना टूटता दिख रहा है. नगर विकास विभाग ने जिस कंपनी को यहां सॉलिड वैस्ट मैनेजमेंट के प्रोजेक्ट का टेंडर दिया था, उस कंपनी ने अब तक दिलचस्पी नहीं दिखायी है. ऐसे में नगर परिषद अब नोटिस भेजने और अन्य कार्रवाई की ओर रुख करने का मन बना लिया है. प्रोजेक्ट के तहत पहाड़ का आकार ले चुके बक्सीबांध से सवा साल में कचरे को भी हटाया जाना था, जबकि टेंडर फाइनल हुए 11 माह बीत चुके हैं. बता दें कि सबसे कम दर पर बोली लगाकर उक्त कार्य को कंर्सोटियम ऑफ एप्प हैनरी प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स आर्यन कंस्ट्रक्शन व श्री श्याम एसोसिएटस ने हासिल किया है. टेंडर के मुताबिक कंपनी को 11 करोड़ 21 लाख रुपये में 16 महीने के अंदर ठोस कचरा प्रबंधन इकाई को स्थापित कर लेना है. दैनिक टिपिंग यानी कचरे का उठाव कर उसे प्लांट तक भेजने, उसके प्रोसेसिंग-रिसाइक्लिंग आदि सहित ऑपरेशन व मेंटेनेंस के कार्य 20 साल तक करना है. कार्य को करने के लिए कुल 63.75 करोड़ रुपये की इस निविदा को प्राक्कलित राशि से लगभग 26.48 प्रतिशत कम में हासिल किया गया था. उपराजधानी में हर दिन जमा हो रहा 50 से 55 मैट्रिक टन कचरे का अंबार – बक्सीबांध रोड में डंपिंग प्वाइंट पर कचरे का अंबार ले चुका है पहाड़ का रूप – आसपास के इलाके हो रहे हैं प्रदूषित शहर में हर दिन 55 से 60 मैट्रिक टन कचरे का अंबार लग रहा है. पिछले सात-आठ दशकों से शहर के अंदर कचरा जमा होता रहा है. यही कचरे का अंबार आज के समय में पहाड़ का रूप ले चुका है. दुमका नगर परिषद क्षेत्र की परिधि में भले ही आबादी आज करीब 65 हजार की हो, लेकिन इतनी ही आबादी शहर के अंदर बसी है, जिससे गणना शहरी क्षेत्र में नहीं होती. अनुमान के मुताबिक शहर व आसपास के बाजार क्षेत्र की कुल आबादी तकरीबन एक लाख 20 हजार की है. इतनी आबादी के द्वारा जो कचरे का उत्सर्जन हो रहा है, वह न तो निष्पादित हो पा रहा और न ही उसको रिसाइकिल ही करना संभव हो पाया है. कचरा दिन-प्रतिदिन जमा होता जा रहा है. ऐसे में सालभर में दुमका शहर के लोग 20000 मैट्रिक टन से अधिक कचरे को शहर के अंदर जमा करते जा रहे हैं. इन कचरों को पूरे शहर से बटोरकर एक जगह आज तक डंप ही किया जाता रहा है. बक्सीबांध रोड में कचरे केपहाड़ की ऊंचाई आसपास के बहुमंजली इमारतों को भी पछाड़ चुकी है. दुमका में ठोस कचरा प्रबंधन की बात पिछले एक दशक से भी अधिक समय से हो रही है. इसके लिए शहर से लगभग साढ़े नौ किलोमीटर दूर ठाड़ी मौजा में लगभग 10 एकड़ जमीन को चिह्नित भी किया गया है और उसे चहारदीवारी से घेरने का काम पूरा कर लिया गया है. काले धुआं और विषाक्त गंध से जीना हो जाता मुश्किल बक्सीबांध व आसपास मुहल्ले में रहनेवाले लोगों को मानना है कि हर बार उन्हें छला ही जा रहा है. उन्हें कचरे के पहाड़ से मुक्ति नहीं मिल रही है. न ही कचरे के विषाक्त गंध, मृत जानवरों के शव से निकलने वाले दुर्गंध व कचरे के ढेर पर निरंतर जलते रहनेवाली काले धुएं से राहत दिलायी जा सकी है. आसपास सरकारी, अर्द्धसरकारी व प्राइवेट हाइस्कूल, नर्सिंग प्रशिक्षण संस्थान, प्राइवेट अस्पताल आदि संचालित हैं. सैकड़ों दुकानें चलायी जा रही हैं. हजार घर बने हुए हैं. इलाके में प्लस टू नेशनल हाई स्कूल, संत जोसेफ हाइस्कूल, संत मेरी स्कूल, भारतीय पाठशाला, ज्ञान भारती सैनिक स्कूल, उर्सुला नर्सिंग ट्रेनिंग सेंटर, उर्सूला नर्सिंग होम, सीपी हॉस्पिटल आदि शैक्षणिक संस्थान-चिकित्सीय संस्थान पास में ही हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

