रामगढ़. प्रखंड के सारमी स्थित सारमीनाथ शिव मंदिर प्रांगण में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन की कथा के दौरान कथा व्यास गोपाल भाई ओझा ने भगवान कृष्ण की दिव्य एवं देव दुर्लभ बाल लीलाओं का अत्यंत सरस एवं मनोहारी वर्णन किया. कथा के दौरान कथा प्रसंगों से संबंधित विविध प्रकार की झांकियों की प्रस्तुति भी की गयी. कथा व्यास ने कृष्ण के जन्म की कथा के बाद कथा को आगे बढ़ाते हुए माखन चोरी, पूतना वध, यशोदा मां के साथ बालपन की शरारतें, बालकृष्ण द्वारा माता यशोदा को पूरे ब्रह्मांड का दर्शन, भगवान श्रीकृष्ण का गौ प्रेम, कालिया नाग मान मर्दन, गोपियों का प्रसंग सहित अन्य कई प्रसंग का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीविष्णु ने पृथ्वी से दुराचारियों का भार कम करने के लिए पृथ्वी पर श्रीकृष्ण के रूप में जब अवतार लिया था तब सभी देवी, देवता और स्वयं ब्रह्मा व शिवजी भी ब्रज मंडल आकर भगवान की लीलाओं के साक्षी बने थे. जब भी पृथ्वी पर कहीं भी भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है तो सभी देवी- देवता वहां अवश्य आते हैं. जब भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था, तब पृथ्वी पर न जाने कितने जन्मों से जीव भगवान की प्रतीक्षा कर रहे थे. कथा के दौरान अन्नकूट भी मनाया गया. कथा के अंतराल में सुनाए गए भजनों ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया. कथाव्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का विचार वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलन का मार्ग बताती है. उन्होंने कहा कि कलियुग में प्रभु श्रीहरि के नाम के स्मरण मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है. मुक्ति के लिए ईश्वर का नाम ही काफी है. इसके लिए कठिन तपस्या और यज्ञ आदि करने की आवश्यकता नहीं है. जबकि सतयुग, द्वापर और त्रेता युग में मुक्ति के लिए बड़ी कठिन तपस्या एवं यज्ञ आदि करने पड़ते थे.
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