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आर्थिक व सामाजिक स्वतंत्रता के बावजूद स्त्रियों को अपनी आय खर्च करने का अधिकार न होना दुर्भाग्यपूर्ण

एसकेएमयू में जेंडर संवेदनशीलता पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार शुरू. तिलका मांझी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जवाहरलाल ने महिला सशक्तिकरण पर अपने विचार साझा किए और इस मुद्दे की समसामयिकता पर जोर दिया.

दुमका नगर. सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय में जेंडर संवेदनशीलता विषय पर कुलपति प्रो बिमल प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ बुधवार से हुआ. इस सेमिनार के उद्घाटन सत्र में तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जवाहरलाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. सेमिनार में देशभर से महिला अध्ययन के क्षेत्र की लगभग दस प्रमुख हस्तियां वक्ता के तौर पर शामिल हुईं. तिलका मांझी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जवाहरलाल ने महिला सशक्तिकरण पर अपने विचार साझा किए और इस मुद्दे की समसामयिकता पर जोर दिया. उन्होंने महिलाओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए उनकी संघर्षों में सहभागिता की सराहना की. डॉ जवाहरलाल ने कहा कि झारखंड में स्त्रियों को आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता होने के बावजूद उनके पास अपनी आय को खर्च करने का अधिकार नहीं है. इस पर उन्होंने चिंता व्यक्त की और इसे सुधारने की आवश्यकता पर जोर दिया. इस कार्यक्रम में भूमिपुत्र संताल परगना के डॉ धुनी सोरेन को सम्मानित किया गया. डॉ धुनी सोरेन ने तिलका मांझी विश्वविद्यालय के कुलपति को अपनी पुस्तक भेंट की, जिससे उनका सम्मान किया गया. सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिमल प्रसाद सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में झारखंडी समाज में स्त्रियों के जीवन की चुनौतियों और उपलब्धियों पर विचार किए. उन्होंने महिलाओं को ””””वस्तु”””” के रूप में समझने की मानसिकता से समाज को मुक्त करने की बात की और महिला सशक्तिकरण को आत्मसशक्तिकरण से जोड़ते हुए इस दिशा में जागरूकता फैलाने पर जोर दिया. डॉ इवा मार्गेट हांसदा ने अपने संबोधन में इस विषय के तीन महत्वपूर्ण आयाम – अधिकार, सफलता और सशक्तिकरण- पर प्रकाश डाला. अंत में डॉ अजय सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

अतिथियों का लोटा पानी से स्वागत, सौंपा स्मृति चिह्न :

इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर अतिथियों का पारंपरिक लोटा-पानी से स्वागत एवं वीर सिदो कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई. इसके बाद विश्वविद्यालय के कुलगीत और दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गयी. अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया. मंच का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग की शोध छात्राएं वैशाली और स्मिधा ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत में विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू जैनेंद्र यादव ने अपने विचार प्रस्तुत किए. उन्होंने इस विषय को रचनात्मक चिंतन के लिए आवश्यक बताया, ताकि इस दिशा में अपेक्षित प्रयास किए जा सकें. इसके बाद इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर अमिता कुमारी ने स्त्री संघर्ष की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि स्त्रियां झारखंड में अर्थव्यवस्था और परिवार की रीढ़ हैं, लेकिन निर्णय लेने में वे पीछे रहती हैं. उनके रचनात्मक योगदान को सही संदर्भ में नहीं देखा जाता है. इस सेमिनार में लगभग 100 शोधार्थी अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे. यह सेमिनार झारखंड सरकार के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा पीएम उषा योजना के तहत प्रायोजित है.

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