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महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होना होगा, अपनी ताकत को समझना होगा

प्रभात खबर द्वारा अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रभात संवाद का आयोजन किया गया. इसमें शिक्षक, समाजसेवी और सेवानिवृत्त महिलाओं ने भाग लिया.

दुमका नगर. प्रभात खबर द्वारा शनिवार को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रभात संवाद का आयोजन किया गया. इसमें शिक्षक, समाजसेवी और सेवानिवृत्त महिलाओं ने भाग लिया. इस संवाद में महिलाओं ने खुलकर अपनी बात रखी. वक्ताओं ने कहा कि पूर्व में भी नारी कभी अबला नही थी. आज के दौर में भी वह अबला नही है. जागृति भले ही महिलाओं में कम थी, आज महिलाएं जागरूक बनीं हैं. उन्हें हर क्षेत्र में आज समान अवसर मिल रहा है और वे इन अवसर का भरपूर लाभ उठाकर अपनी प्रतिभा को साबित भी कर रही हैं. कोई ऐसा क्षेत्र आज नही है, जहां महिलाएं पीछे रह गयी हैं. यह गौरव का ही क्षण है कि देश की प्रथम नागरिक महिला हैं. आसमान में उड़ान भरने से लेकर लड़ाकू विमान चलाने तक महिलाएं अपना जौहर दिखा रही हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य ऐसा क्षेत्र है, जिसमें सबसे अधिक महिलाएं सेवायें दे रही है. यह दोनों ही क्षेत्र बहुत अहम हैं और विकास के मानक में भी इनको बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. वक्ताओं ने कहा कि महिलाएं आज कंधे से कंधा मिलाकर पुरुषों के साथ चलकर प्रदेश-समाज और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे रही हैं. पूर्व प्रोवीसी डॉ प्रमोदिनी हांसदा ने कहा कि आज के दौर में काफी परिवर्तन हुआ है. आज कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं है. महिलाएं भी जागृत हुई हैं. वे घर-परिवार के दायित्व के अलावा आत्मनिर्भर बनकर समाज व राष्ट्र के विकास में भी योगदान दे रही हैं. शहर व गांव की महिलाओं में जो अंतर है, उसकी वजह शिक्षा है. गांव की बच्चियां भी शत-प्रतिशत शिक्षित हों, यह हम सभी का दायित्व है. वे शिक्षित बनेंगी, तो निश्चित तौर पर आनेवाली पीढ़ियां और बेहतर स्थिति में होंगी. सोशल एक्टिविस्ट मुन्नी हांसदा ने कहा कि महिला के बिना न परिवार चल सकता है, न समाज. इसलिए महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होना होगा. आत्मनिर्भर बनना होगा. शोषण-अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत भी जुटानी होगी. अक्सर हम महिलाओं को तब कमजोर आंका जाता हैं, जब हमें खुद अपनी ताकत का अहसास नहीं होता है. हमें जागरूक बनना होगा. अपने अंदर चेतना विकसित करनी होगी. शहर की महिलाएं तो जागरूक हैं, गांव की महिलाओं को सजग बनाना होगा. शिक्षिका स्मिता हांसदा ने कहा कि आज सभी क्षेत्र में महिलाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं. पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. घर-परिवार, समाज व राष्ट्र के विकास में योगदान दे रही हैं. हालांकि इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि अभी भी कई मामलों में महिलाओं को अपनी पहचान, अपने अस्तित्व और अपने हक-अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ता है. अपनी शक्ति को अपनी ऊर्जा को हमें पहचानना होगा. जो महिलाएं पीछे छूट रहीं हैं, उनके लिए आज भी विशेष प्रयास करने की जरूरत है. सोशल एक्टिविस्ट सरिता मुर्मू ने कहा कि हम आज देख रहे हैं कि महिलाएं आज हर क्षेत्र में बराबरी कर रही हैं. कई क्षेत्रों में तो महिलाओं ने खुद को बेहतर साबित किया है. वह घर-परिवार का दायित्व निभाने के बाद भी परिवार को हर तरह से संबल प्रदान करती हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तो महिलाओं की ही भागीदारी आज के दौर में अधिक दिखती है. किसानी में भी महिलाओं को हम आगे बढ़ता देख रहे हैं, पर इस क्षेत्र में उन्हें और प्रोत्साहित करने की जरूरत है. सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे तो और बेहतर स्थिति होगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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