बारिश के कारण गेहूं का रंग बदल गया है. जिस बाली में गेंहू अंकुरित हो रहे थे, इसमें पानी भरने से यह सड़ा दिख रहा है. ओला वृष्टि के कारण तैयार फसल खेत पर ही गिर गयी है. इससे कृषकों को लाखों रुपए का नुकसान का अनुमान है. इसको लेकर स्थानीय कृषक मायूस हैं. अनुमान लगाया जा था कि उतने क्षेत्र में लगभग पौने दो सौ से दो सौ क्विंटल गेहूं का उत्पादन होता, उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गयी है. कृषकों के अनुसार बारिश नहीं होने से करीब सात से आठ लाख रुपए मूल्य के गेंहू बीज का उत्पादन होता. फिर सरकार उस बेजी को खरीदती. सरकार उसी बीज को पैक्स के माध्यम से किसानों को देती. गौरतलब रहे कि दलूडीह पंचायत के चुंगी के कृषक फणींद्र नाथ सिंह चौधरी, परितोष सिंह चौधरी, प्रवीण सिंह चौधरी, कुणाल सिंह चौधरी, संजय कुमार चौधरी द्वारा समूह बनाकर गेंहू बीज उत्पादन के लिए इसकी खेती शुरू की गयी थी.
प्रशिक्षण लेकर किसानों ने बीज के लिए शुरू की थी खेती
कृषक फणींद्र नाथ सिंह चौधरी व प्रियतोष सिंह चौधरी ने बताया कि उनलोगों के समूह ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची से फसल आधार बीज प्रभेद डीबीडब्ल्यू 352 लिया था.10 क्विंटल बीज की कीमत 46 हजार रुपए अदा की थी. 26 हजार रुपए मूल्य के खाद का उपयोग किया था. साथ ही मजदूरी, जुताई, सिंचाई, जानवरों से सुरक्षा के लिए जाल व रखरखाव में करीब एक लाख रुपए खर्च आया था. बताया कि बीज ग्राम अंकुरा का समूह बनाकर बीज उत्पादन की योजना बनायी थी. निबंधन बीज ग्राम प्रमाणन एजेंसी रांची झारखंड से निबंधित है. बीज प्रमाणन के लिए धनबाद जिला के वरीय पदाधिकारियों ने निरीक्षण भी किया था. भूमि संरक्षण पदाधिकारी इस बीज उत्पादन कार्यक्रम के प्रमाणन पदाधिकारी हैं. बाघमारा अंचलाधिकारी को आवेदन देकर आपदा राहत कोष से उचित मुआवजा की मांग की गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है