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Dhanbad News: घोटाले के लिए शेल कंपनियों का लिया सहारा

इडी ने 730 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले में गुरुवार को गोविंदपुर थाना क्षेत्र के आपणो घर में निवासी कारोबारी अमित अग्रवाल के ठिकानों पर छापेमारी की.

धनबाद.

प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने 730 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले में गुरुवार को गोविंदपुर थाना क्षेत्र के आपणो घर में रहने वाले कारोबारी अमित अग्रवाल उर्फ चीनू अग्रवाल के घर, झरिया मेन रोड स्थित पुराने घर, जगदंबा फर्नीचर दुकान, बस्ताकोला फर्नीचर दुकान पर दबिश दी. इडी की टीम अपने साथ सीआरपीएफ जवान को भी लेकर पहुंची थी. टीम ने आपणो घर में सर्च अभियान चलाया और घर में रखे जरूरी कागजात को खंगाला. जानकारी के अनुसार अग्रवाल ने भी फर्जी बिलिंग के लिए शेल कंपनियों का सहारा लिया है.

सीआरपीएफ जवान को लेकर अलसुबह पहुंची टीम

सीआरपीएफ जवान को लेकर अहले सुबह इडी की टीम भुईफोड़ मंदिर के निकट आपणो घर के एफआइआर बिल्डिंग के छठे माले के फ्लैट नंबर 601 में रहने वाला अमित अग्रवाल के घर पर पहुंची. टीम सुबह में व्यवसायी का घर खुलवाने का प्रयास कर रही थी, लेकिन घर वाले सोये हुए थे और दरवाजा नहीं खोल रहे थे. इडी ने सख्ती की, तो दरवाजा खुला. टीम ने परिवार के सभी लोगों को एक स्थान पर बैठा दिया और जांच शुरू की. इस दौरान सभी मोबाइल फोन को एक स्थान पर रखवा दिया. इसके बाद घर के सभी कागजातों की जांच शुरू की. जांच के दौरान किसी को भी घर के अंदर आने नहीं दिया जा रहा था. टीम ने घर में मिले कई कागजात का जेरोक्स करवाया. लगी रही भीड़ : घटना की जानकारी मिलने के बाद आपणो घर सोसाइटी में बसे दर्जनों लोग फ्लैट के नीचे पहुंच गये. सभी माहौल और अंदर क्या कार्रवाई हो रही है उसकी जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन किसी को कुछ भी पता नहीं था. वहीं इडी टीम रांची नंबर के इनोवा कार से पहुंची थी. जबकि देर शाम तक इडी अमित अग्रवाल के घर पर बनी रही. वहीं कई तरह की चर्चाएं भी उड़ती रही.

ऑनलाइन जॉब के नाम पर फंसाये गये बेरोजगार

जीएसटी घोटाले के अंजाम देने के लिए व्यापारियों ने फर्जी शेल कंपनियों का सहारा लिया. इन कंपनियों को बनाने के लिए ऑन लाइन जॉब के नाम लोगों को फंसाया गया. ऑनलाइन नौकरी पाने वालों से उनके आधार, पैन, फोटो, बैंक डिटेल आदि लिये गये. इसके इन दस्तावेज का इस्तेमाल कर फर्जी शेल कंपनियां बनायी गयीं. जिनके दस्तावेज का इस्तेमाह किया जाता था, महीने में उन्हें एक दो बार दफ्तर में बुलाकर सिर्फ व्यापारिक गतिविधियों से जुड़े दस्तावेज पर दस्तखत करवाये जाते थे. बदले में उन्हें 10-15 हजार रुपये प्रति माह की दर से नौकरी के नाम पर वेतन दिया जाता है.

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