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Dhanbad News: डीआरटीबी सेंटर में दवा देकर घर भेजे जा रहे टीबी के गंभीर मरीज

Dhanbad News: मैनपावर की कमी के कारण छह वर्षों से सेंटर में मरीजों को भर्ती लेना बंद

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Dhanbad News: 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस है. एक ओर जिला स्वास्थ्य विभाग टीबी (टयूबरक्लोसिस) पर पूर्ण रूप से नियंत्रण पाने के लक्ष्य के साथ जागरूकता अभियान चला रहा है, वहीं टीबी के गंभीर मरीजों के उचित इलाज की व्यवस्था अबतक शुरू नहीं की गयी है. सदर अस्पताल परिसर में बने डीआरटीबी सेंटर (ड्रग रेसिस्टेंट टयूबरक्लोसिस) में पहुंचने वाले मरीजों का इलाज जैसे-तैसे हो रहा है. जबकि, इस केंद्र में टीबी के गंभीर स्टेज के मरीजों को दवा देने के साथ उन्हें ऑब्जर्वेशन में भी रखना है. वर्तमान में मैन पावर व अन्य संसाधन की कमी के कारण मरीजों को सिर्फ दवा देकर छोड़ दिया जा रहा है. टीबी की दवा का मरीज पर कैसा प्रभाव पड़ रहा है, यह देखने वाला कोई नहीं है.

छह साल से केंद्र में मरीजों को भर्ती लेना बंद :

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में टीबी के ढाई हजार से ज्यादा मरीज है. इनमें से लगभग एक हजार मरीज गंभीर स्टेज के हैं. नियम के अनुसार केंद्र में इन मरीजों को दवा देने के बाद ऑब्जर्वेशन में रखना है. दवा का डोज निर्धारित होने तक मरीजों को केंद्र के वार्ड में भर्ती रखना है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. संसाधनों के अभाव में छह साल पूर्व केंद्र में मरीजों को भर्ती लेना बंद कर दिया गया है. संसाधन और मैनपावर की कमी को देखते हुए तीन वर्ष पूर्व डीआरटीबी केंद्र को मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट करने की योजना बनायी गयी, जो कागजों में ही सिमट कर रह गयी.

क्या है डीआरटीबी सेंटर :

आम तौर पर टीबी के मरीजों को केंद्र में दवा दी जाती है, लेकिन कुछ मरीजों में वायरस जल्द खत्म नहीं होता है. ऐसे मरीजों को दो वर्ष तक एमडीआर (मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट) दवा देने की जरूरत होती है. बाजार में इन दवाओं की कीमत काफी ज्यादा है. ऐसे रेसिस्टेंस केस के मरीज को ही डीआरटीबी सेंटर में 10 से 15 दिनों के लिए रखा जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि दवा देने के बाद मरीज को साइड इफेक्ट होने की आशंका रहती है. 15 दिनों तक जब मरीज ठीक रहता है, तब उसे दवा देकर घर भेज दिया जाता है. इन मरीजों को दो वर्ष तक टीबी की दवा खानी पड़ती है.

वर्तमान में जिले में ढाई हजार टीबी के मरीज, इनमें कोलियरी क्षेत्र के ज्यादा :

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में जिले में लगभग ढाई हजार टीबी के एक्टिव केस हैं. इनमें कोलियरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या अधिक है. वर्तमान में बाघमारा क्षेत्र के 241, बलियापुर के 90, गोविंदपुर 185, झरिया 209, केंदुआडीह 140, निरसा 236, तोपचांची 92, बीसीसीएल 78 व डीटीसी धनबाद में 1148 मरीज निबंधित है.

क्या है टीबी राेग :

टीबी (क्षयरोग) एक घातक संक्रामक रोग है, जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होता है. टीबी आमतौर पर और ज्यादातर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है. यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है. जब क्षयरोग से ग्रसित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई उत्पन्न होता है, जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है. ये ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई कई घंटों तक वातावरण में सक्रिय रहते हैं. जब एक स्वस्थ व्यक्ति हवा में घुले हुए इन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस ड्रॉपलेट न्यूक्लीआई के संपर्क में आता है तो वह इससे संक्रमित हो सकता है.

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