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धनबाद के निरसा में डिलीवरी के बाद प्रसूता की मौत, सेवा क्लिनिक एंड नर्सिंग होम में हंगामा

घटना को लेकर मृतका के परिजनों ने कोई शिकायत नहीं की है. चर्चा है कि नर्सिंग होम प्रबंधन व मृतका के परिजनों के बीच समझौता हो गया है. प्रबंधन ने चार लाख रुपये मुआवजा देने का आश्वासन दिया है.

निरसा : धनबाद के निरसा थाना क्षेत्र के तेतुलिया मोड़ स्थित सेवा क्लिनिक एंड नर्सिंग होम में सिजेरियन डिलीवरी के बाद प्रसूता लोगोमुनी मरांडी (23) की मंगलवार तड़के मौत हो गयी. वह बराईगाढ़ा निवासी दिहाड़ी मजदूर अर्जुन हेंब्रम की पत्नी थी. परिजनों ने सात जनवरी को प्रसव पीड़ा के बाद नर्सिंग होम में भर्ती कराया था. सोमवार की रात सीजर के बाद उसने पुत्र को जन्म दिया. लोगोमुनी की यह पहली डिलीवरी थी. ऑपरेशन नर्सिंग होम के डॉ जी बनर्जी ने किया था. प्रसूता की मौत के बाद ग्रामीणों ने चिकित्सक पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए नर्सिंग होम में हंगामा किया. जानकारी मिलने पर उपायुक्त वरुण रंजन ने जांच टीम का गठन किया. टीम में बीडीओ इंद्रलाल ओहदार एवं निरसा सीएचसी प्रभारी डॉ संजय कुमार पासवान शामिल थे. दोनों अधिकारी देर शाम नर्सिंग होम जांच करने पहुंचे. प्रबंधन ने वहां लगा बोर्ड हटाकर नर्सिंग होम पर ताला जड़ दिया था. यही नहीं, चिकित्सक व कर्मी फरार हो गये थे.

छह घंटे बाद शव घर ले गये परिजन : 

घटना को लेकर मृतका के परिजनों ने कोई शिकायत नहीं की है. चर्चा है कि नर्सिंग होम प्रबंधन व मृतका के परिजनों के बीच समझौता हो गया है. प्रबंधन ने चार लाख रुपये मुआवजा देने का आश्वासन दिया है. दाह संस्कार एवं श्राद्ध कर्म के लिए 50 हजार रुपये बुधवार को दिये जायेंगे. बाकी का भुगतान तीन माह बाद किया जायेगा. घटना के छह घंटे के बाद समझौता कर लोग शव घर ले गये. बच्चा स्वस्थ है.

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स्वास्थ्य विभाग करेगा लाइसेंस की जांच : 

मृतका के परिजनों ने कहा कि सात जनवरी की रात दो बजे सीजर ऑपरेशन से लोगोमुनी काे बच्चा हुआ. एक घंटे बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और देखते ही देखते उसकी मौत हो गयी. परिजनों ने चिकित्सक पर लापरवाही का आरोप लगाया है. कहा कि बिना मान्यता के फर्जी कागजात के आधार पर चिकित्सक द्वारा नर्सिंग होम चलाया जा रहा है. इधर, क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीइए) का बिना पालन किये अस्पताल संचालित होने की बात सामने आ रही है. बुधवार को जिला स्वास्थ्य विभाग अस्पताल को निर्गत सीइए लाइसेंस की जांच करेगा. कागजात नहीं होने पर संचालक व चिकित्सकों पर कार्रवाई की जायेगी.

जांच का निर्देश दिया गया है. इसके लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है. शुरुआती जांच में अस्पताल के बिना सीइए लाइसेंस के संचालित होने की बात सामने आयी है. प्रसूता की मौत किन कारणों से हुई, इसकी जांच के साथ अस्पताल को निर्गत होने वाले सीइए लाइसेंस का सत्यापन भी किया जायेगा. सीइए नहीं होने पर संचालक व चिकित्सक पर एफआइआर की जायेगी.

डॉ चंद्रभानु प्रतापन, सिविल सर्जन

ऑपरेशन सक्सेसफुल था. जच्चा-बच्चा दोनों ठीक थे. मरीज को होश आने के बाद आवश्यक दवा दी गयी थी. इसके बाद वह ठीक हो गयी थी. ठीक होने के बाद वह सो गयी. सुबह में वह मृत अवस्था में पायी गयी. संभवत: हार्ट अटैक से उसकी मौत हुई है.

डॉ जी बनर्जी

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