धनबाद.
देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया अब इस्पात क्षेत्र को अधिक कोकिंग कोल देने की योजना पर काम कर रही है. सूचना के मुताबिक कंपनी ने अपने 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है कि वह देश में कोयले की भविष्य की खपत और कोकिंग कोल के वैकल्पिक उपयोगों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में कदम बढ़ा रही है. भारत के पास कुल 389.42 बिलियन टन भू-वैज्ञानिक कोयला भंडार है, जिसमें से लगभग 212 बिलियन टन सिद्ध भंडार है. इन संसाधनों में करीब 89 प्रतिशत हिस्सा नॉन-कोकिंग कोल का है. ऐसे में स्टील उद्योग के कोकिंग कोल की जरूरत के लिए देश अभी भी आयात पर निर्भर है. इसे कम करने के लिए कोल इंडिया अब देश में उपलब्ध सीमित कोकिंग कोल संसाधनों को बेहतर ढंग से उपयोग में लाने के लिए संयुक्त उद्यमों के माध्यम से कोकिंग कोल वाशरियों की योजना बना रही है. वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि कोल इंडिया कोल गैसीफिकेशन परियोजनाओं के लिए भी कोयला आपूर्ति करेगा.नॉन-रेगुलेटेड सेक्टर में रिकॉर्ड आपूर्ति
पिछले वित्तीय वर्ष में कोल इंडिया द्वारा गैर-नियामक क्षेत्र (एनआरएस) को 145.3 मिलियन टन कोयला आपूर्ति की गई, जो 8.1 प्रतिशत की सालाना वृद्धि है. स्टील सेक्टर को कुल 3.36 मिलियन टन कोयला की पेशकश की गई थी, जिसमें से 2.39 मिलियन टन कोयला बुक किया गया, जो फ्लोर प्राइस से औसतन 5.28 प्रतिशत अधिक प्रीमियम पर रहा.
2025-26 के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य
कोल इंडिया ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए 900 मिलियन टन कोल ऑफटेक (कोयले की आपूर्ति) का लक्ष्य रखा है, जो गत वर्ष के 762.98 मिलियन टन से लगभग 18 प्रतिशत अधिक है. वहीं, उत्पादन का लक्ष्य 875 मिलियन टन है. कोल इंडिया चेयरमैन पीएम प्रसाद ने रिपोर्ट में कहा कि हमारा लक्ष्य देश में कोयले की कोई कमी न होने देना है.
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