संजीव झा, धनबाद : भाजपा में संगठनात्मक चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है. लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के कारण यहां संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया एक वर्ष के लिए टाली गयी थी. इस बार ग्रामीण एवं महानगर दो जिलाध्यक्ष का बनना तय माना जा रहा है.
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भाजपा में संगठनात्मक चुनाव की सुगबुगाहट
संजीव झा, धनबाद : भाजपा में संगठनात्मक चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है. लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के कारण यहां संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया एक वर्ष के लिए टाली गयी थी. इस बार ग्रामीण एवं महानगर दो जिलाध्यक्ष का बनना तय माना जा रहा है. क्या है स्थिति : संगठनात्मक रूप से धनबाद में […]
क्या है स्थिति : संगठनात्मक रूप से धनबाद में भाजपा को दो भागों में बांटने का निर्णय लगभग एक दशक पूर्व ही लिया गया था. धनबाद के सांसद पीएन सिंह के प्रदेश अध्यक्ष रहते ही भाजपा प्रदेश कार्यसमिति ने वर्ष 2007 में धनबाद में ग्रामीण एवं महानगर जिला कमेटी गठन को मंजूरी दी थी.
लेकिन हमेशा इसको टालते रहा गया. 31.12.2017 को भाजपा की वर्तमान प्रदेश कमेटी ने पत्र जारी कर धनबाद को संगठनात्मक रूप से दो भागों में विभाजित करने की घोषणा की. सीमांकन भी हो गया. तय हुआ कि धनबाद, झरिया एवं सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले सभी मंडल महानगर जिला कमेटी के अधीन होंगे.
जबकि टुंडी, बाघमारा एवं निरसा के मंडल को ग्रामीण जिला कमेटी में रखने का निर्णय हुआ. धनबाद जिला के कुल 35 मंडलों में से 17 महानगर तथा 18 ग्रामीण कमेटी के अधीन होंगे. लेकिन प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश का पत्र जारी होने के 24 माह बाद भी यहां ग्रामीण जिलाध्यक्ष तक नहीं बन पाये. रायशुमारी के बाद भी संगठन की तरफ से ग्रामीण कमेटी की घोषणा टाल दी गयी.
तीन लाख से अधिक प्राथमिक सदस्य : धनबाद जिला में भाजपा का सदस्यता अभियान पूर्ण हो चुका है. पार्टी का दावा है कि यहां तीन लाख से अधिक प्राथमिक सदस्य बने हैं. संगठनात्मक चुनाव को लेकर पार्टी के अंदर सुगबुगाहट तेज हो गयी है.
ग्रामीण एवं महानगर जिलाध्यक्ष बनने के लिए लॉबिंग शुरू हो गयी है. सूत्रों की मानें तो इस बार पूरे प्रदेश में चुनाव से नहीं, बल्कि मनोनयन से जिला व मंडल अध्यक्ष बनेंगे. प्रदेश अध्यक्ष के मनोनयन होते ही यह प्रक्रिया शुरू होगी. धनबाद नगर निगम चुनाव के पहले ही यहां मंडल व जिलाध्यक्षों का चुनाव हो जाने की उम्मीद है.
सबकी नजर सांसद की तरफ
संगठनात्मक चुनाव में धनबाद के सांसद पीएन सिंह की बड़ी भूमिका होगी. लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के शानदार प्रदर्शन से संगठन के अंदर सांसद की पकड़ और मजबूत हुई है. दूसरी तरफ, राज्य में सत्ता गंवाने के बाद यहां भाजपा में सांसद विरोधी खेमा की पकड़ ढीली पड़ी है.
ऐसे में सांसद के करीबी को ही महानगर जिलाध्यक्ष की कमान मिल सकती है. जबकि ग्रामीण जिलाध्यक्ष के चयन में दूसरे गुट की चल सकती है. यहां भाजपा के चार विधायक हैं. धनबाद विधायक राज सिन्हा तथा सिंदरी विधायक इंद्रजीत महतो महानगर तो बाघमारा विधायक ढुलू महतो एवं निरसा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं. विधायकों की राय भी संगठनात्मक चुनाव में महत्वपूर्ण होगी.
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