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ग्रामीण इ-बाजार से बिचौलियावाद खत्म करने की तैयारी, सिंफर ने बनाया पोर्टल

गोविंदपुर में खुलेगा मुख्य संचालन केंद्र गांव की मिट्टी का हेल्थ कार्ड बनेगा धनबाद : बाजार के अभाव में अब किसानों को सब्जी या अन्य उत्पाद को फेंकना या औने-पौने दाम पर नहीं बेचना पड़ेगा. झारखंड के अनुसूचित जाति (एससी) तथा अनुसूचित जनजाति (एसटी) बहुल गांवों की तस्वीरें जल्द बदलेगी. इन गांवों में रहने वाले […]

गोविंदपुर में खुलेगा मुख्य संचालन केंद्र

गांव की मिट्टी का हेल्थ कार्ड बनेगा
धनबाद : बाजार के अभाव में अब किसानों को सब्जी या अन्य उत्पाद को फेंकना या औने-पौने दाम पर नहीं बेचना पड़ेगा. झारखंड के अनुसूचित जाति (एससी) तथा अनुसूचित जनजाति (एसटी) बहुल गांवों की तस्वीरें जल्द बदलेगी. इन गांवों में रहने वाले किसानों, युवाओं एवं छात्रों के लिए केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) ने ट्रेनिंग सेंटर, कोल्ड स्टोरेज, फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाने सहित कई योजनाएं तैयार की है. इ-ग्रामीण बाजार नामक पोर्टल के जरिये यहां के हालात बदलने की कोशिश चल रही है. सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले वर्ष इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू कराया जायेगा.
क्या है योजना : केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक मंत्रालय की पहल पर सिंफर ने बड़े-बड़े मल्टीनेशनल मार्केटिंग पोर्टल की तर्ज पर ग्रामीण इ-बाजार नामक पोर्टल विकसित किया है. पिछले चार माह से इस प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है. इस पोर्टल के जरिये झारखंड के किसान, कुम्हार, कलाकार को राष्ट्रीय स्तर पर बाजार उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि बिचौलिया के हाथों औने-पौने दाम में उत्पाद बेचने की मजबूरी नहीं हो. इस पोर्टल का संचालन सिंफर की टीम करेगी.
राज्य सरकार की तरफ से इसके लिए धनबाद के गोविंदपुर प्रखंड में एक भवन उपलब्ध कराया गया है. वहां सिंफर के चार अधिकारी, कर्मी 24 घंटे अगले तीन वर्ष के लिए तैनात किये जायेंगे. यहां कंप्यूटर से लेकर जेनरेटर तक सिंफर ही देगा. उनका मेंटेनेंस भी सिंफर के ही जिम्मे होगा.
कौन और कैसे जुड़ सकता है इस पोर्टल से : सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह ने वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एसके चवलिया के नेतृत्व में एक टीम गठित की है. इसी टीम ने पूरी साइट को डेवलप किया है. डॉ चवलिया के अनुसार ग्रामीण इ-बाजार का सदस्य बनाने के लिए गांवों में सर्वे करा कर फॉर्म वितरित किया जायेगा. इसमें किसान, कुम्हार, हैंडीक्राफ्ट बनाने वाले कलाकारों को सदस्य बनाया जायेगा. पहले एससी, एसटी गांव में सदस्यता अभियान चलेगा. स्थानीय व्यवसायी भी इसमें निबंधन करा कर सदस्य बन सकते हैं. किसानों, कलाकारों से सामान खरीद कर उसे पोर्टल के जरिये बेचा जायेगा. इसके जरिये किसानों, कुम्हारों व कलाकारों को ज्यादा से ज्यादा कीमत दिलाने की कोशिश होगी. सिंफर केवल हैंडलिंग चार्ज रखेगा.

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