धनबाद : रजिस्ट्री विभाग में गुरुवार को नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एनजीडीअारएस) लागू किया गया. पहले दिन ही यह सिस्टम फेल हो गया और सात मिनट में जमीन-मकान की रजिस्ट्री करने के विभाग के दावे की हवा निकल गयी. सुबह से शाम तक तकनीशियन परेशान रहे लेकिन सिस्टम चालू नहीं हुआ. ऐसे में गुरुवार को एक भी प्रोपर्टी की रजिस्ट्री नहीं हुई. आज रजिस्ट्री कराने आये सैकड़ों क्रेता व विक्रेता बैरंग लौट गये.
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पहले ही दिन सिस्टम फेल, सात मिनट में नहीं हो सकी जमीन-मकान की रजिस्ट्री
धनबाद : रजिस्ट्री विभाग में गुरुवार को नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एनजीडीअारएस) लागू किया गया. पहले दिन ही यह सिस्टम फेल हो गया और सात मिनट में जमीन-मकान की रजिस्ट्री करने के विभाग के दावे की हवा निकल गयी. सुबह से शाम तक तकनीशियन परेशान रहे लेकिन सिस्टम चालू नहीं हुआ. ऐसे में गुरुवार […]
डीड राइटरों के अनुसार नया सिस्टम लागू करने के पहले इसकी पूरी तैयारी होनी चाहिए थी. जब तक नया सिस्टम पूरी तरह अप टू डेट नहीं होता, पुराने सिस्टम को चालू रखा जाना चाहिए. अचानक सिस्टम फेल होने से लोगों को काफी परेशानी होती है.
क्या है एनजीडीआरएस सिस्टम: जमीन व मकान की रजिस्ट्री के लिए यह हाइ टेक सिस्टम है. एनजीडीआरएस सिस्टम से सात मिनट में जमीन व मकान की रजिस्ट्री होती है. इस सिस्टम में फोटो खिंचवाने व आधार कार्ड के लिए भाग दौड़ करने की आवश्यकता नहीं होती है. एनजीडीआरएस सिस्टम में डाटा भरने के सात मिनट में जमीन व मकान की रजिस्ट्री हो जाती है.
इस सिस्टम से जमीन रजिस्ट्री की प्रक्रिया आसान होगी और फर्जीवाड़ा पर अंकुश लगेगा. पायलट प्रोजेक्ट के तहत जमशेदपुर रजिस्ट्री ऑफिस में इसे लांच किया गया था. इसके बाद राज्य के अन्य निबंधन कार्यालयों में लागू किया गया है.
सिस्टम में है जमीन की पूरी कुंडली : सरकारी, गैर मजरूआ, कैसर-ए-हिंद, गोचर और वन भूमि की जानकारी सिस्टम में अप लोड है. ऐसी भूमि को अगर कोई फर्जी तरीके से बेचना चाहेगा तो सिस्टम में ही पता चल जायेगा और इसकी खरीद-बिक्री नहीं हो सकेगी. वहीं किसी जमीन को खरीदने से पहले उसके मौजा, रकवा व प्लाट नंबर से उस जमीन की स्थिति की जानकारी भी इस सिस्टम से मिल जायेगी.
जमीन के संबंध में कोई विवाद होगा तो भी सिस्टम में पता चल जायेगा. ऐसे में एक ही जमीन को दो या अधिक लोगों को बेचने के फर्जीवाड़ा पर लगाम लगेगी.
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