गोल्डेन कार्ड का है लाभुक, एक माह से पीएमसीएच में है भर्ती अस्पताल में जीवन बचाने को जद्दोजहद कर रहा जीवन धनबाद : पीएमसीएच के हड्डी रोग विभाग के चिकित्सकों ने बलियापुर के जीवन मोहली (52) की जांघ की हड्डी का ऑपरेशन किया, लेकिन घर जाने के बाद जीवन की जांघ में लगा प्लेट कमर […]
गोल्डेन कार्ड का है लाभुक, एक माह से पीएमसीएच में है भर्ती
अस्पताल में जीवन बचाने को जद्दोजहद कर रहा जीवन
धनबाद : पीएमसीएच के हड्डी रोग विभाग के चिकित्सकों ने बलियापुर के जीवन मोहली (52) की जांघ की हड्डी का ऑपरेशन किया, लेकिन घर जाने के बाद जीवन की जांघ में लगा प्लेट कमर से होकर बाहर निकल गया. अब एक माह से मरीज पीएमसीएच में ऑपरेशन के लिए तड़प रहा है. चिकित्सक सी-आर्म मशीन खराब होने का हवाला देकर ऑपरेशन नहीं कर रहे हैं, तो दूसरी ओर परिजन हाथों में आयुष्मान भारत के तहत बने गोल्डेन कार्ड लेकर अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं.
चिकित्सकों का कहना है कि ओटी में सी-आर्म मशीन खराब है. उसके ठीक होने के बाद ही ऑपरेशन हो सकता है. लेकिन मशीन कब ठीक होगी, यह कोई बता नहीं रहा है. जीवन अपनी पत्नी कलावती मोहलीन, पुत्र राजेश व राकेश के साथ बांस की टोकरी बनाता है. जांघ टूटने के बाद रोटी पर आफत आ गयी है.
आॅपरेशन होने के बाद वहीं हिला पैर, फिर निकल गया प्लेट : जीवन सितंबर में घर में काम करने के दौरान छत से नीचे गिर गया था. उसके बाद पीएमसीएच में 20 दिन रहने के बाद चिकित्सकों ने उसका ऑपरेशन किया. इसके बाद वह अपने घर चला गया. जीवन ने बताया कि ऑपरेशन के बाद से ही उसका पैर सीधा रहा. पैर का मुड़ना बंद हो गया. धीरे-धीरे कमर की दाहिनी जांघ में काफी दर्द होने लगा. इसके बाद प्लेट निकल कर बाहर आ गया. इसके बाद परिजन पीएमसीएच लेकर आये.
गोल्डेन कार्ड तो बन गया, लेकिन सुविधा नहीं : आयुष्मान भारत के तहत जीवन मोहली का गोल्डेन कार्ड तो बन गया, लेकिन योजना के तहत पीएमसीएच में कोई सुविधा नहीं मिल रही है. ऑपरेशन तो दूर जीवन मोहली को दवाएं भी बाहर से खरीदनी पड़ रही है. चिकित्सकों को भी गोल्डन कार्ड दिखाया गया. लेकिन सुविधाओं के बारे में अभी तक कोई पहल नहीं हुई है.
सी-आर्म मशीन के बनाने की प्रकिया जारी है. एक-दो दिनों में मशीन बनते ही ऑपरेशन शुरू कर दिया जायेगा. विभागाध्यक्ष को निर्देश दिया गया है. मरीज का ऑपरेशन किया जायेगा. गोल्डेन कार्ड की सुविधा दी जायेगी.
डॉ एचके सिंह, अधीक्षक, पीएमसीएच