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धनबाद : घर की बेड़ियां तोड़ आर्थिक स्वावलंबन की नयी गाथा लिखने की तैयारी

संजीव झा कौमी एकता की भी पेश कर रहीं मिसाल मेड इन धनबाद का जुनून धनबाद : गोद में बच्चा, मशीन पर चलते हाथ. माथा पर बाजारवाद की चुनौती की चिंता. लेकिन दिल में है उमंग. इसी जज्बे के साथ तमाम रूढ़िवादी व्यवस्था को दरकिनार कर वासेपुर क्षेत्र की महिलाएं आर्थिक स्वावलंबन कीनयी गाथा लिख […]

संजीव झा
कौमी एकता की भी पेश कर रहीं मिसाल मेड इन धनबाद का जुनून
धनबाद : गोद में बच्चा, मशीन पर चलते हाथ. माथा पर बाजारवाद की चुनौती की चिंता. लेकिन दिल में है उमंग. इसी जज्बे के साथ तमाम रूढ़िवादी व्यवस्था को दरकिनार कर वासेपुर क्षेत्र की महिलाएं आर्थिक स्वावलंबन कीनयी गाथा लिख रही हैं. यहां न धर्म का बंधन है और न जाति का.
केवल एक ही जुनून है कि मेड इन धनबाद के प्रोडक्ट को कैसे मंजिल तक पहुंचाएं.कबाड़ी पट्टी नया बाजार के एक छोटे से मकान में काम कर रहीं दर्जनों महिलाओं के समूह का उत्साह यह बता रहा है कि अगर दिल में जज्बा हो तो बिना बहुत ज्यादा पूंजी के भी उद्यमी बनने का सपना साकार कर सकते हैं.
नया बाजार क्षेत्र की कुछ महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बना कर कुछ करने का निर्णय लिया है. इस अभियान की अगुवाई करने वाली शगुफ्ता रहमान कहती हैं कि शुरू में बहुत परेशानी हुई. पहले दस महिलाओं ने मिल कर उमंग नामक एसएचजी बनाया. धीरे-धीरे क्षेत्र की दूसरी महिलाएं भी जुड़ने लगीं. आज 12 एसएचजी यहां बन चुके हैं. दो बन रही हैं. 12 एसएचजी ने मिल कर यहां संगम एएलएफ नामक संगठन बना लिया है.
झूमर से लेकर डिजाइनर कपड़ा तक बना रहीं
आज संगम एएलएफ की सदस्य आपस में पैसा एकत्र कर काम कर रही हैं. महिलाएं झूमर, चूड़ी, झाड़ू, बुटिक के लिए डिजाइनर कपड़े, तोरण तक बना रही हैं. महिलाओं ने बताया कि धन के अभाव में काम में प्रगति नहीं आ पा रही है. हालांकि नगर निगम द्वारा बहुत सहयोग किया जा रहा है.
खासकर मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल हमेशा हौसला अाफजाई करते रहते हैं. अभी एक लाख रुपये का लोन भी एसबीआइ से मिलने वाला है. लोन मिल जाये तो काम में तेजी आये. बाजार में कंपीट करने के लिए भारी पूंजी जरूरी है. लेकिन एक बार में ही बहुत ज्यादा लोन लेने की हिम्मत नहीं हो रही.
कौन-कौन एसएचजी हैं शामिल
संगम एएलएफ में उमंग स्वयं सहायता समूह, कंचन एसएचजी, चांद-तारा एसएचजी, केजीएन एसएचजी, संकट मोचन एसएचजी, लक्ष्मी एसएचजी, ज्योति एसएचजी, शिव गौरी एसएचजी, उजागर महिला कल्याण एसएचजी, आद्रा की सदस्य शामिल हैं. जबकि अली एसएचजी एवं उजाला एसएचजी गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. यहां धर्म का बैरियर तोड़ हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय की महिलाएं हाथ से हाथ मिला कर काम कर रही हैं.
महिलाओं के साथ मिल कर कुछ व्यापार करने की योजना तीन-चार वर्षों से थी. कुछ-कुछ काम भी कर रही थी. बीच में नगर निगम द्वारा महिला एसएचजी को बढ़ावा देने की खबर देखी तो इसमें जी-जान से लग गयी. खुशी है कि तीन माह के अंदर ही एसएचजी गठित कर धरातल पर उतार दिया. हालांकि बाजार की चिंता भी है. आत्मविश्वास के बल से आगे बढ़ रही हूं.
शगुफ्ता रहमान, सचिव, संगम एएलएफ
महिलाओं ने आपस में ही धन संग्रह कर काम शुरू किया है. अभी एक लाख रुपये का लोन स्वीकृत हुआ है. हम लोगों की कोशिश है कि बैंक से लोन मिलने के बाद काम में तेजी लायें. साथ ही बैंक को समय से लोन की राशि लौटा कर समिति की साख को बेहतर बनाये. एक बार में ही लोन के बोझ से दबने की हिम्मत नहीं है. अभी बिना ब्रेक हर दिन लगातार काम कर रहे हैं.
माला देवी, कोषाध्यक्ष, संगम एएलएफ
घर से बाहर निकल कर इस तरह से अपना काम शुरू करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. आज भी घर के काम-काज को निबटाते हुए यहां भी काम करते हैं. कोशिश है कि यहां के लोगों को मेड इन धनबाद का बेहतर प्रोडक्ट उपलब्ध करायें. ताकि बाजार में हम लोगों की भी पहचान बने.
सोगरा खातून, अध्यक्ष, उमंग, एसएचजी
मेहनत कर रहे हैं. घर के मोर्चे पर भी जूझना पड़ता है. बाजारवाद की चुनौती से भी वाकिफ हैं. उम्मीद है कि स्थानीय व्यवसायियों के सहयोग व लोगों के प्यार से हम कामयाब होंगे. तमाम परेशानियों के बावजूद आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनने के लिए घर की बेड़ियां तोड़ कर आगे आये हैं.
सदफ जमीर, अध्यक्ष, संगम एएलएफ

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