धनबाद : जिला परिषद अध्यक्ष रोबिन चंद्र गोरांई ने बोर्ड की बैठक बुलायी. लेकिन बैठक में जिप के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी सह उप विकास आयुक्त शशि रंजन सहित कोई अधिकारी नहीं पहुंचे. लिहाजा बोर्ड की बैठक स्थगित करनी पड़ी. अधिकारियों ने न आने से नाराज जिप अध्यक्ष के साथ एक दर्जन सदस्य धरना पर बैठ गये. लेकिन दो घंटे बाद भी सीइओ खुद नहीं गये. बल्कि कार्यपालक पदाधिकारी-सह-जिला पंचायती राज पदाधिकारी चंद्रजीत सिंह को धरनास्थल पर भेजा.
मोबाइल पर बात के बाद जिला परिषद में धरना समाप्त हुआ.
क्यों हुआ विवाद : शनिवार को जिला परिषद बोर्ड की बैठक अध्यक्ष की तरफ से बुलायी गयी थी. इसकी जानकारी जिप सदस्यों को व्हाट्स एप पर दी गयी. लेकिन बैठक में डीडीसी सह सीइओ सहित किसी अधिकारी के नहीं पहुंचने से सदस्य नाराज हो गये. जिप सदस्यों ने डीडीसी के खिलाफ नारे लगाये. साथ ही जिला परिषद कैंपस के अंदर धरना पर बैठ गये. कुछ सदस्य कार्यालय में ताला जड़ने की मांग कर रहे थे. उनका कहना था कि जब काम होना ही नहीं है तो कार्यालय खोल कर नौटंकी क्यों की जा रही है. कार्यालय में ताला जड़ा जाये. करीब एक घंटे तक आपस में बहस करने के बाद सदस्यों ने तालाबंदी की जगह धरना का निर्णय लिया. अपराह्न लगभग तीन बजे जिला परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी चंद्रजीत सिंह ने आकर जिप सदस्यों को आश्वासन दिया कि जल्द ही बोर्ड की बैठक होगी. उन्होंने सीइओ से उनकी फोन पर बात करायी. उसके बाद जिप सदस्य धरना से उठे.
तीन घंटे तक चला ड्रामा : जिप बोर्ड की बैठक दोपहर 12 बजे के करीब शुरू हुई. बैठक शुरू होते ही कई सदस्यों ने कहा कि जब पिछली बैठक में यह तय हो गया था कि बैठक की जानकारी व्हाट्स एप पर नहीं बल्कि चिट्ठी भेज कर दी जायेगी तो फिर व्हाट्स एप पर उन्हें इसकी जानकारी क्यों दी गयी. इस सवाल पर अध्यक्ष कुछ भी बोलने से बचते रहे. वहीं अधिकारियों के बैठक में नहीं पहुंचने पर मामले में अध्यक्ष ने कहा कि आज की बैठक के लिए वह दो बार डीडीसी को चिट्ठी भेज चुके हैं.
मगर डीडीसी ने रिसीव नहीं किया. एक बार मौखिक रूप से भी उन्हें आज की बैठक के बारे में बताया जा चुका है. मगर वह नहीं आये. जिप सदस्यों का कहना था कि अधिकारियों के इसी रवैये से वह अपने क्षेत्र में काम नहीं कर पा रहे हैं. जनता सवाल उनसे पूछती है. मगर अधिकारियों को इससे कोई मतलब नहीं होता है.
अशोक सिंह को छोड़ शेष सदस्य धरना पर बैठे : जिप सदस्य अशोक सिंह को छोड़ कर सभी लोग धरना पर बैठ गये. धरना पर अध्यक्ष रोबिन चंद्र गोरांई, उपाध्यक्ष हसीना खातून, प्रियंका पाल, चंचला देवी, नुनीबाला देवी, रेणुका देवी, कमला देवी, सीमा देवी, मिथुन रविदास, सुभाष राय, संतोष महतो, गुरुचरण बास्की, हीरामन नायक और राय मुनि देवी मौजूद थी. वहीं अशोक सिंह ने इसका विरोध किया. उनका कहना था कि डीडीसी बैठक में नहीं पहुंचे, इसके लिए अध्यक्ष जिम्मेदार हैं.
जिला परिषद का बॉस कौन?
आज की बैठक के बाद एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि जिला परिषद का बॉस कौन है? अध्यक्ष या सीइओ? अध्यक्ष द्वारा आहूत बैठक में सचिव खुद तो शामिल नहीं हुए. उनके मातहत दूसरे अधिकारी भी दूर रहे. साथ ही जिला परिषद कार्यालय से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर मिश्रित भवन मेें मौजूद रहने के बावजूद डीडीसी जिप परिसर में धरना पर बैठे अध्यक्ष सहित अन्य सचिव से बात करने तक नहीं आये. इससे आने वाले दिनों में जिप अध्यक्ष और सीइओ में विवाद और बढ़ने की संभावना है.
क्या कहते हैं अध्यक्ष व सीइओ
बैठक में डीडीसी सहित अन्य अधिकारियों के नहीं शामिल होने की शिकायत सरकार से करेंगे. जिला परिषद में बहुत सारे काम पेंडिंग हैं. कई महत्वपूर्ण बिंदु पर निर्णय लेने के लिए ही बैठक बुलायी गयी थी.
रोबिन चंद्र गोरांई, अध्यक्ष, जिला परिषद.
बैठक बुलाने का संवैधानिक अधिकार अध्यक्ष को जरूर है. लेकिन, तिथि एवं समय तय करने का अधिकार सचिव का होता है. दो दिन से विभागीय बैठक में बाहर थे. आज पहले से ही तीन-तीन बैठकें निर्धारित थीं. वैसे भी जिप बोर्ड की बैठक तीन माह में बुलाने का नियम है. पिछली बैठक 19 जून को हुई थी. अभी उस बैठक के निर्णय का भी अनुपालन नहीं हो सका है. सितंबर में बैठक बुलायी जायेगी.
शशि रंजन, डीडीसी सह सीइओ, जिप, धनबाद.