Shiv Barat: देवघर-पर्यटन विभाग की ओर से देवघर शिव बारात निकाले जाने पर सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने कई सवाल उठाए हैं. रविवार को देवघर स्थित अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सांसद ने कहा कि शिव बारात के नाम पर वे कभी देवघर में राजनीति नहीं होने देंगे. शिव बारात का टेंडर 20 फरवरी को फाइनल होना है, लेकिन उससे पहले झाकियां बनायी जा रही हैं. डढ़वा नदी से लीला मंदिर व बस स्टैंड से सारवां मोड़ तक तोरण द्वार बनाये जा रहे हैं, पर एनएच की सड़क पर तोरण द्वार बनाने के लिए हमारी कमेटी को अनुमति है. 20 फरवरी को टेंडर फाइनल होने से पहले शिव बारात के जितने भी काम चल रहे हैं, उन सारे कार्यों का वीडियो उनकी टीम बना रही है. टेंडर होने से पहले तैयारियों में किसका पैसा लग रहा है? किसे फायदा पहुंचाने की तैयारी चल रही है ? शिव बारात का आयोजन होने के बाद इन सारे मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे और सीएजी से पर्यटन विभाग के इस आयोजन में खर्चों का ऑडिट कराया जायेगा.
शिवरात्रि में जाएंगे बागेश्वर धाम-निशिकांत दुबे
सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि जब स्थानीय लोगों द्वारा शिव बारात का आयोजन होता रहा है, तो पर्यटन विभाग को खर्च करने की क्या जरूरत पड़ गयी? झारखंड सरकार का पैसा आम लोगों का पैसा है. आम आदमी के पैसे की बर्बादी नहीं होने देंगे. सारे वीडियो व साक्ष्य लोकायुक्त व सीएजी को सौंपे जायेंगे. उन्होंने कहा कि जब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी के पैसे से शीश महल बनाया, तो सीएजी की जांच हुई और अब उन्हें जेल जाना पड़ेगा. ठीक इसी तरह जो भी गलत करेंगे उन्हें केजरीवाल के रास्ते में जाना पड़ेगा. इसका खुलासा कोर्ट में किया जायेगा. सांसद ने बताया कि वे इस वर्ष शिव बारात में देवघर में नहीं रह पायेंगे, वे बागेश्वरधाम जा रहे हैं. बागेश्वर सरकार शिवरात्रि में गरीब कन्याओं का विवाह करा रहे हैं, उसमें शामिल होंगे.
कोविड के बाद उनकी पहल पर बगैर चंदा लिए निकली थी शिव बारात
सांसद ने देवघर में शिव बारात का इतिहास बताते हुए कहा कि महाशिवरात्रि पर देवघर की शिव बारात भाजपा के वरिष्ठ नेता जेपीएन सिंह के नेतृत्व में बनी कमेटी ने 32 वर्ष पहले निकाली थी. उसके बाद इसी कमेटी ने पूर्व मेयर राजनारायण खवाड़े के नेतृत्व में बारात निकालने की परंपरा शुरू की. कोविड में शिव बारात बंद रही, तो वर्ष 2023 में मेरी पहल पर नयी कमेटी का गठन कर सबके सहयोग से शिव बारात निकाली गयी, लेकिन यह कमेटी 2023 में ही समाप्त हो गयी व वर्ष 2024 में बाबा बैद्यनाथ की अध्यक्षता में नयी कमेटी ने शिव बारात निकाली. उन्होंने कहा कि पहले शिव बारात में चंदा होता था, लेकिन जब मेरे पास यह कमेटी आयी, तो मैंने चंदा नहीं लेने का संकल्प नहीं लिया. बगैर चंदा के शिव बारात निकाली गयी. डॉ दुबे ने कहा कि शिव बारात कभी उनके लिए वोट बैंक की राजनीति नहीं रही है. शिव बारात सिर्फ आस्था का केंद्र रही है.
शिव बारात में 2023 में हुए सक्रिय
सांसद ने कहा कि वे तो शिव बारात में 2023 में सक्रिय हुए थे. इससे पहले शिव बारात में उनकी कोई भूमिका नहीं रहती थी, बावजूद देवघर की जनता ने मुझे वर्ष 2009, 2014 व वर्ष 2019 में वोट देकर सांसद चुना. इन तीन चुनावों में उन्हें देवघर विधानसभा में अधिक वोट आये, लेकिन 2024 में देवघर विधानसभा में लीड का अंतर कम गया. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति शिवरात्रि महोत्सव समिति के अध्यक्ष थे, उन्हें भी उन्होंने देवघर की जनता की बदौलत चुनाव हराया है. वर्ष 2009 के चुनाव में भी उन्हें देवघर विधानसभा में लीड मिली थी, इसलिए अगर कोई व्यक्ति शिव बारात को लेकर उनके बारे में वोट बैंक की बात सोचता है, तो वह गलत सोच रहा है.
बैद्यनाथ कॉरिडोर के नाम पर बगैर मुआवजा दिये उजाड़ने की तैयारी
सांसद ने कहा कि जिस कमेटी को वर्ष 2023 की शिव बारात के बाद भंग कर दी गयी, अब भंग कमेटी के लोग मुख्यमंत्री से मिलकर दो डील कर ली. एक डील देवघर में देवोत्तर जमीन की बेचने की हुई है. देवोत्तर एक तरह से भगवान की जमीन होती है, उस जमीन की इन दिनों रजिस्ट्री हुई है. झारखंड सरकार के इशारे पर कुंडा इलाके में 18 बाड़ी देवोत्तर भूमि की रजिस्ट्री हुई है. दूसरी डील बैद्यनाथ मंदिर कॉरिडोर को लेकर हुई है. झारखंड सरकार बाबा मंदिर के आसपास लखराज जमीन का बगैर मुआवजा दिये कॉरिडोर बनाना चाहती है. लखराज की जमीन पर बसे लोगों को झारखंड सरकार बगैर मुआवजा दिये उखाड़ने जा रही है. लखराज जमीन का मुआवजा दिये बगैर मंदिर के आसपास खाली करने की बात पर सरकार को शिव बारात का आयोजन करने का जिम्मा सौंप दिया गया. पर्यटन विभाग के जरिये इस शिव बारात के आयोजन का राजनीतिकरण कर दिया गया.
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