मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में क्रांतिकारी पत्रकार व स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी का शहादत दिवस मनाया गया. इस अवसर पर लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. वहीं, अधिवक्ता धनंजय प्रसाद ने कहा कि वे आधुनिक पत्रकारिता के अग्रदूत थे. वे क्रांतिकारी, साम्राज्यवाद व सामंतवाद विरोधी प्रगतिशील विचारक में से एक थे. जो पूंजीवाद के जनविरोधी चरित्र को उजागर कर जनता के जनवादी की स्थापना करना चाहते थे. साहित्य के क्षेत्र में प्रेमचंद ने क्रांतिकारी, जनवादी व यथार्थवादी का मार्ग प्रशस्त किया था. उनकी पत्रकारिता का मार्ग भी वही था. वे हिन्दी पत्रकारिता के उन्नयन व उसके माध्यम से देश की गुलामी के खात्मा की कोशिश को परवान चढ़ाने वाले अपने समय के अग्रगण्य संपादक थे. विद्यार्थी की प्रासंगिकता आज उन दिनों से भी ज्यादा है, क्योंकि साम्राज्यवादी शोषण बढ़ रहे हैं. सामंतवाद आदमकद खड़ा है. क्रांतिकारियों के मंच बना, जिसमें भगतसिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्लाह खां, चंद्रशेखर आजाद जैसे सरीखे क्रांतिकारियों के आलेख छपते थे. ब्रितानी हुकूमत के विरोध आलेख छापने व लिखने के कारण उन्हें कई बार जेल की सजा काटनी पड़ी. फिर उनकी जोश-ओ-खरोश व जज्बा में कभी कमी नहीं आई. वहीं, सांप्रदायिक दंगे में एक विधवा महिला को बचाने के दरम्यान कट्टरपंथियों के शिकार बन गये थे. भला ऐसे विभूति की कुर्बानी को कैसे बिसराया जा सकता है, ऐसे शख्स को याद करना लाजिमी है
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