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सच्ची कहानियों पर बनने वाली फिल्में दिल को छू जाती है
देवघर : भोलेनाथ की नगरी बनारस की गलियों से निकलकर बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने वाले एक्टर विनीत सिंह इन दिनों फिल्म ‘ आधार’ की शूटिंग के सिलसिले में बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर आये हुए हैं. संजय दत्त स्टारर फिल्म पिता से करियर की शुुरुआत करने वाले विनीत ने गैंग्स ऑफ वासेपुर, गोल्ड, बाॅम्बे […]
देवघर : भोलेनाथ की नगरी बनारस की गलियों से निकलकर बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने वाले एक्टर विनीत सिंह इन दिनों फिल्म ‘ आधार’ की शूटिंग के सिलसिले में बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर आये हुए हैं. संजय दत्त स्टारर फिल्म पिता से करियर की शुुरुआत करने वाले विनीत ने गैंग्स ऑफ वासेपुर, गोल्ड, बाॅम्बे टॉकीज, मुक्काबाज सरीखे फिल्मों में काम किया.
लेकिन, उन्हें असली पहचान गैंग्स ऑफ वासेपुर के सरदार खान के बेटे दानिश, गोल्ड फिल्म में हॉकी के जादूगर सरफराज व मुक्काबाज में श्रवण सिंह का दमदार लीड रोल निभाकर मिली.
विनीत सिंह एक्टर के साथ-साथ निर्देशक भी हैं. फिलहाल विनीत फिल्म ‘ आधार’ की शूटिंग में व्यस्त हैं. अपने व्यस्त शेड्यूल में भी कुछ समय निकालकर उन्होंने प्रभात खबर से बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के कुछ अंश….
सवाल : कॉमेडी, रोमांटिक व ग्लैमरस की फिल्म से अलग कहानी की फिल्म कितनी बेहतर होगी.
जवाब : फिल्में अगर जिंदगी के करीब व आम लोगों से जुड़ी रहती है तो ज्यादा पसंद की जाती है. अाधार एक आम आदमी से जुड़ी झारखंड के व्यक्ति की कहानी है. इसे आम आदमी के अनुभव को जोड़कर देखा जा सकता है. सच्ची कहानी पर बनने वाली फिल्में दिल को छूने वाली होती है. अभी ऐसी फिल्मों का दौर चला है. लोग अपने आसपास की जिंदगी पर बनने वाली फिल्में पसंद कर रहे हैं.
सवाल : गांव में फिल्म की शूटिंग का कैसा अनुभव हो रहा है.
जवाब : आधार फिल्म केवल आधार कार्ड पर ही नहीं बन रही है. यह एक ऐसी फिल्म है जो व्यक्ति के जीवन का आधार बताता है. साथ ही अपने देश का बुनियाद किस प्रकार गांव है, यह दर्शाया गया है. गांव ही इस देश का आधार है, इसलिए शूटिंग गांव में ही करने पर अधिक से अधिक दर्शकों को जोड़ पायेंगे. काफी अच्छा अनुभव हो रहा है.
सवाल : बॉलीवुड में आज के नये कलाकार एक्टिंग के क्षेत्र में खुद को कैसे स्थापित कर सकते हैं…
जवाब : किताबें, नाटक व लेखनी एक बेहतर एक्टर तैयार करता है. एक्टिंग की दुनिया में कैरियर बनाने वाले युवाओं को किताब, नाटक व लेखनी से जुड़े रहना चाहिए. तभी दुनिया के बाजार में तभी खुद को आगे चलकर ढाल पायेंगे. अच्छी किताबों का अनुभव हमेशा साथ देगा. यूथ जिस विषय पर रुचि रखते हैं, उसमें अच्छी पकड़ बनाना काफी महत्वपूर्ण है. मेहनत का कोई तोड़ नहीं है.
सवाल : देवघर आपको कैसा लगा, आपकी अगली फिल्म कौन-कौन है.
जवाब : भोलेनाथ की नगरी बनारस मेरा घर है तो निश्चित रूप से भोले की नगरी से प्यार रहेगा. देवघर उभरता हुआ एक सुंदर शहर है. यहां की संस्कृति आकर्षित करती है. यहां के लोग काफी सहयोगी हैं. मेरी आने फिल्मों में ट्राइस्ट विद डेस्टिनी व बर्ड ऑफ ब्लड जैसी फिल्में हैं. फिल्म ‘ट्राइस्ट विद डेस्टिनी’ देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु की पहली स्पीच पर फिल्मायी गयी है.
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