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सारठ प्रखंड के असहना गांव में श्रीमद्भावत ज्ञान महोत्सव का चौथा दिन, कहा – भारत का विश्व में अतुलनीय योगदान : साध्वी
सारठ : असहना गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान महोत्सव के चौथे दिन मंगलवार को कथावाचन करते हुए वाचिका सुश्री साध्वी शशि प्रभा जी ने शुकदेव जी परीक्षित जी को पंचम व षष्ठ का कथा का वर्णन किया. कथा सुनाते हुए कहा कि उस समय हुए भरत जी के नाम पर इस देश का नाम भारत […]
सारठ : असहना गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान महोत्सव के चौथे दिन मंगलवार को कथावाचन करते हुए वाचिका सुश्री साध्वी शशि प्रभा जी ने शुकदेव जी परीक्षित जी को पंचम व षष्ठ का कथा का वर्णन किया. कथा सुनाते हुए कहा कि उस समय हुए भरत जी के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा, क्योंकि वे अपने प्रजा के दुख सुख में रखते थे और संपन्न रखते थे. लोगों ने प्रसन्न होकर देश का नाम भारत रख दिया. उनके राज्य में आकाश से देवी-देवता भी पुष्प की वर्षा करते थे.
साथ ही उनके यश की महिमा करते थे. और कहा करते थे कि ऐसा कौन से पुण्य किया होगा, एक तो मनुष्य का शरीर और दूसरे में भरत में जन्म. अगर हमें पता होता तो हम भी वे कर्म करते ओर भारत में जन्म लेते. क्योंकि भारत जैसी महिमा अन्य किसी भी देश की नहीं हैं. जितनी भी पवित्र नदियां हैं सभी भारत में. जितने भी देवी-देवता, संत ऋषि सभी भारत में हुए और तो ओर पूरे विश्व को जो भी योगदान दिया वे भारत के संतों व ऋषियों ने दिया,ऋगवेद कालीन ऋषियों ने अंतरिक्ष विज्ञान की नींव रखी.
ब्रहमांड व पृथ्वी की उत्पत्ति के विषय में सर्वप्रथम वैज्ञानिक ने खोज किये तो किसी देश के तो वे भारतीय हैं. पृथ्वी के व्यास की खोज सर्वप्रथम भारतीयों ने, गुरुत्वाकर्षण के बारे में अब तो लोग ये जानते हैं कि न्यूटन ने किया परंतु सबसे भास्कराचार्य ने किया,ओर विज्ञान की नींव 2300 वर्ष पूर्व महर्षि कणाद ने किया था. विश्व में गणित की पहली नींव भारतीय संस्कृति के रखी. भूमि पर पहली शोध भारतीय ने किया था. चिकित्सा विज्ञान का प्रथम आंदोलन प्रसारित भारतीय ने किया था.
साध्वी शशिप्रभा जी ने कहा कि तीन सौ वर्षों पूर्व आचार्य चरक ने चरक संहिता नामक ग्रन्थ लिखा.जिसमें सबकुछ लिखा गया कि कैसे सर्जरी, आपरेशन, कैसे दवाइयां चलेगी. विश्व के सबसे पहले जो सर्जन हुए नाक, कान, गला जो कट जाये उसे जोड़ने वाले तो वे भी ऋषि सुशुप्त हुए, जो आज से 2700 सौ वर्ष पूर्व हुए विमानों, वाहनों, विवि की सबसे पहले भारत में हुए. कहा गया कि भारत की महिमा ही इतनी हैं कि इसकी बराबरी कोई देश कर ही नहीं सकता.
देवी-देवता भी तरसते हैं कि वे भारत में जन्म लें. क्योंकि भगवान का नाम भारत के बिना कहीं और नहीं मिल सकता. ओर कही मिलता भी हैं तो हमारे भारत के संत ही भागवत की कथा सुना कर लाभ दिलाते हैं. कथा के समापन में भगवान कृष्ण की जन्म पर भोगा लगा कर आरती किया गया. मौके पर दानी राय, अनीता देवी, रणधीर राय, धर्मवीर राय, चंदन कुमार राय आदि मौजूद थे.
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