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प्रेम का संबंध दिमाग से नहीं, बल्कि दिल से

चितरा : श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के समापन के मौके पर मंगलवार को श्री श्री 1008 प्रेम मूर्ति प्रेम भूषण जी महाराज ने कहा कि ‘अति हरि कृपा जाही पर होई, पांउं देइ एही मारग सोई’ अर्थात जिसका जितना भगवान से प्रेम होता है उतना ही भगवान की भी कृपा भक्तों पर […]

चितरा : श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के समापन के मौके पर मंगलवार को श्री श्री 1008 प्रेम मूर्ति प्रेम भूषण जी महाराज ने कहा कि ‘अति हरि कृपा जाही पर होई, पांउं देइ एही मारग सोई’ अर्थात जिसका जितना भगवान से प्रेम होता है उतना ही भगवान की भी कृपा भक्तों पर होती है. महाराज जी ने मंगलवार को मुख्य रूप से रामचरित मानस के सुंदर कांड में हनुमान जी द्वारा सीता मइया की खोज का वर्णन किया.
सुंदर कांड में भगवान हनुमान जी की विशेषता बताते हैं. कहा कि हनुमान की जो पूजा-अर्चना करते हैं उन पर हनुमान जी कृपा विशेष रूप से रहती है. उन्होंने बच्चों को हनुमान चालीसा का पाठ करने कोे कहा. साथ ही उन्होंने कहा कि मानव को भगवान से प्रेम करना चाहिए. प्रेम व प्रीति ऐसी चीज हैं जिनका दिमाग से कोई संबंध नहीं होता है. दिमाग वालों के लिए प्रीति व प्रेम नहीं है. कहा कि भक्तों को गाय पालना चाहिए, कुत्ता नहीं. रामकथा के दौरान उन्होंने ‘को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो’ ‘एह शरीरिया के तू रखीह नीमन’, ‘गृह कारज नाना जंजाल ते अति दुर्गम शैल विशाला’ ‘लागल बाबा चितरा में मेला’ नहीं चाहिए दिल दुखाना किसी का सदा न रहा है, ‘सदा न रहेगा जमाना किसी का’ ‘राजा बने रघुवराई, बाजेला बधइया’ समेत रामचरित मानस से जुड़े भजनों की प्रस्तुति से उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को ताली बजाने व झूमने पर मजबूर कर दिया.

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