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पिपराडीह गांव के ग्रामीणों ने पेड़-पौधों को सुरक्षित रख बनायी एक अलग पहचान, अंधाधुंध कटाई से वन भूमि हो गयी थी बंजर

तब लोगों ने वन की रक्षा करने का संकल्प लिया. साथ ही पेड़ों में रक्षा सूत्र बांध कर संरक्षित रखा. आज उक्त भूमि पर विशाल पेड़ हो गये हैं. इस जंगल के 200 एकड़ भूमि में पेड़-पौधे लगे हैं. यहां जड़ी-बूटी भी तैयार हो रहा है. इस वन भूमि पर 80 प्रतिशत सखुआ का पेड़, तो 20 प्रतिशत जामुन, सीधा, केंदू, बहेर, बर, पीपल, पलास आदि अन्य पेड़ शामिल हैं. पेड़-पौधों की रक्षा करने का संकल्प सबसे पहले वर्ष 1992 में गांव के रामभजन प्रसाद ने लिया था.

सिमरिया : प्रखंड की सेरनदाग पंचायत के पिपराडीह गांव के ग्रामीण व वन विकास समिति के सदस्यों ने पेड़-पौधों की रक्षा कर प्रखंड में एक अलग पहचान बनायी है. यहां के लोग वन संपदा व पर्यावरण को संरक्षित कर मिसाल कायम की है. पिपराडीह जंगल, जबड़ा जंगल के रखात व पाठक खाप में पेड़-पौधों की देखभाल कर सुरक्षित रखा. कुछ साल पहले पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से वन भूमि बंजर हो गयी थी.

तब लोगों ने वन की रक्षा करने का संकल्प लिया. साथ ही पेड़ों में रक्षा सूत्र बांध कर संरक्षित रखा. आज उक्त भूमि पर विशाल पेड़ हो गये हैं. इस जंगल के 200 एकड़ भूमि में पेड़-पौधे लगे हैं. यहां जड़ी-बूटी भी तैयार हो रहा है. इस वन भूमि पर 80 प्रतिशत सखुआ का पेड़, तो 20 प्रतिशत जामुन, सीधा, केंदू, बहेर, बर, पीपल, पलास आदि अन्य पेड़ शामिल हैं. पेड़-पौधों की रक्षा करने का संकल्प सबसे पहले वर्ष 1992 में गांव के रामभजन प्रसाद ने लिया था.

2000 तक उन्होंने पेड़-पौधों की रक्षा कर पर्यावरण को संरक्षित रखा. माओवादियों ने जंगल पर कब्जा कर लिया. पेड़ों की कटाई कर ली गयी. ग्रामीणों ने पुन: पांच फरवरी 2012 को रामभजन प्रसाद के नेतृत्व में बैठक कर जंगल को बचाने का संकल्प लिया. पेड़ काटने पर जुर्माना लगाया जाता है. इस कार्य में समिति के अध्यक्ष श्री प्रसाद के अलावा मुखिया तेजनारायण प्रसाद समेत 12 सदस्यीय समिति लगी हुई है.

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