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चतरा संसदीय सीट : चुनाव में भाजपा के बागी व यूपीए में दोस्ताना संघर्ष ने बढ़ाया है सस्पेंस

चतरा से सतीश कुमार/ विवेक चंद्र चतरा लोकसभा सीट पर चुनावी बिसात बिछ चुकी है. चुनाव प्रचार के साथ रोमांच चरम पर है. नेताओं की सभाएं, प्रचार वाहन और कार्यकर्ताओं की मोटरसाइकिल रैली चतरा लोकसभा के सभी विधानसभा क्षेत्रों में नजर आ रही है. इस सीट पर राजनीति के दावं-पेंच देखे जा सकते हैं. राजनीतिक […]

चतरा से सतीश कुमार/ विवेक चंद्र

चतरा लोकसभा सीट पर चुनावी बिसात बिछ चुकी है. चुनाव प्रचार के साथ रोमांच चरम पर है. नेताओं की सभाएं, प्रचार वाहन और कार्यकर्ताओं की मोटरसाइकिल रैली चतरा लोकसभा के सभी विधानसभा क्षेत्रों में नजर आ रही है. इस सीट पर राजनीति के दावं-पेंच देखे जा सकते हैं.

राजनीतिक दलों के बीच शह-मात का खेल चल रहा है. वोटों की सेंधमारी की जुगाड़ बिठा रहे हैं. यहां भाजपा प्रत्याशी सुनील कुमार सिंह को उनकी ही पार्टी के बागी और चतरा जिला परिषद के उपाध्यक्ष राजेंद्र साहू रास्ते में रोड़ा अटका रहे हैं. दूसरी तरफ यूपीए गठबंधन भी दो फाड़ है. कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज यादव के रास्ते में यूपीए गठबंधन में शामिल राजद के सुभाष यादव खड़े हैं. कहने के लिए दोस्ताना संघर्ष है, लेकिन चुनावी रंजिश तीखा है.

चतरा सीट पर परदे के पीछे भी खेल चल रहा है. हाल के दिनों में ही दल बदलने वाले दो नेता समीकरण बदलने के लिए अपनी चाल चल रहे हैं. राज्य के पूर्व मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने राजद का दामन थामा है. वह जी-जान से राजद प्रत्याशी के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं.

वहीं, झाविमो छोड़ कर भाजपा में शामिल होनेवाली एक अन्य महिला नेत्री टिकट नहीं मिलने से नाराज है. उनकी नाराजगी से भाजपा प्रत्याशी को नुकसान होता दिख रहा है. राजद इस नाराजगी का भी फायदा उठाने की कोशिश में है. चतरा लोकसभा सीट पर स्थानीय और बाहरी का मुद्दा भी बनाया जा रहा है. निवर्तमान सांसद सुनील सिंह के प्रति लोगों की नाराजगी भी है. हालांकि सुनील सिंह और भाजपा दोनों ही इस नाराजगी को दूर करने में लगे हैं. बावजूद इसके मोदी फैक्टर सुनील सिंह के लिए काम करता दिख रहा है.

कांग्रेस प्रत्याशी मनोज यादव को भी स्थानीय होने का लाभ मिलता मालूम हो रहा है. लेकिन, राजद प्रत्याशी सुभाष यादव ने महागठबंधन तोड़ कर उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. नक्सली प्रभाव कम हुआ है. चतरा के गांवों में लोग खुल कर चुनाव पर बातें करते हैं. चुनावी महौल गांव-गांव में है. सभी लोग वोट देकर अपनी सरकार चुनने पर सहमत दिखते हैं. क्षेत्र के सुदूर इलाकों में, जंगलों में और गांवों में पुलिस लगातार पेट्रोलिंग करती नजर आ रही है.

चतरा के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पानी, बिजली और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव दिखता है. लोगों में नाराजगी भी है. फिर भी लोग इन बातों को मुद्दा बनाने के लिए तैयार होते नहीं दिखते हैं. जातीय समीकरण की गोलबंदी क्षेत्र में कई जगहों पर हो रही है. लेकिन, यूपीए के अंदर ही संघर्ष की वजह से समीकरण फिट नहीं बैठ रहा है.

सिमरिया

चैन नहीं लेने देती बिजली की आंखमिचौली

कुल मतदाता : 3,11,661

विधायक : गणेश

गंझू, भाजपा

सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. बिजली बड़ी समस्या है. इलाके में सात से आठ घंटे ही बिजली की आपूर्ति की जाती है. स्थानीय निवासी डालेश्वर राम कहते हैं कि सांसद पिछले पांच सालों में कभी नजर नहीं आये हैं. लेकिन केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ लोगों को मिल रहा है. आवास और शौचालय निर्माण कराया जा रहा है. पर, सड़कों की स्थिति नहीं सुधर रही है. किन बातों के आधार पर वोट देंगे? उनका जवाब था : दे भी सकते हैं. अभी तय नहीं किया है.

चतरा

गरमी के पहले ही जवाब दे देते हैं कुआं-चापानल

कुल मतदाता : 3,49,842

विधायक : जयप्रकाश भोक्ता, भाजपा

चतरा विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति कोयले के व्यापार से प्रभावित होती है. यहां पानी बड़ी समस्या है. प्रदीप राम कहते हैं कि एक-एक हजार फीट बोरिंग कराने पर पानी निकलता है.

इतना बोरिंग कराना आम लोगों के बस के बाहर की बात है. गरमी शुरू होने के पहले ही चापानल और कुआं सूख जाते हैं. पानी नहीं होने का सीधा असर खेती पर पड़ता है. लोग रोजगार के लिए पलायन करने पर मजबूर हैं. इस चुनाव में यह बातें मुद्दा बनेंगी? उन्होंने कहा : अभी बताना मुश्किल है. वोटिंग के दिन देखेंगे.

पांकी

गांव को जोड़ने वाली सड़कें बनी ही नहीं

कुल मतदाता : 2,55,983

विधायक : देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह, कांग्रेस

पांकी विधानसभा में ग्रामीण सड़कों की हालत खस्ताहाल है. ताल पंचायत के एवन शर्मा कहते हैं कि क्षेत्र की सड़कें कभी बनी ही नहीं है. मुख्य सड़क से गांव को जोड़ने वाली सभी सड़कें कच्ची ही हैं.

उन सड़कों को बनाने के लिए सांसद से लेकर विधायक तक को कई बार बोला गया है. परंतु, कोई भी व्यक्ति झांकने की भी जरूरत नहीं समझता है. पानी और बिजली भी नहीं है. खेती बरसात पर निर्भर करती है. इस बार किसे वोट देंगे? वह कहते हैं : अभी तक कोई वोट मांगने नहीं आया है. हमलोग तो मोदी जी के बारे में सोच रहे हैं.

मनिका

बिजली-पानी की समस्या से जूझ रहे हैं लोग

कुल मतदाता : 2,23,106

विधायक : हरेकृष्ण

सिंह, भाजपा

मनिका विधानसभा के लोग पानी-बिजली की परेशानी से जूझ रहे हैं. बंटइया पर खेतों में काम करने वाले चरकू सिंह खेरवार सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं होने पर दुख जताते हैं. वह कहते हैं कि पानी की समस्या से निजात नहीं मिल रही है. लेकिन, लोगों को घर मिल रहा है. शौचालय बन रहा है. पेंशन मिल रही है. यह सब कम नहीं है. जीवन तो ऐसे ही चलता रहेगा. इस बार चुनाव में क्या सोच कर वोट करेंगे? वह कहते हैं : हमलोग मोदी जी को फिर से चाहते हैं. इस बार एक और मौका देंगे.

लातेहार

डिग्री कॉलेज व रेलवे फाटक है बड़ा मुद्दा

कुल मतदाता : 2,54,222

विधायक : प्रकाश

राम, झाविमो

लातेहार विस क्षेत्र में कोई डिग्री कॉलेज नहीं है. युवाओं के पास पढ़ाई के लिए बाहर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. विधानसभा के चंदवा में ट्रैफिक जाम बड़ी समस्या है. यहां बीच शहर में रेलवे फाटक है.

स्थानीय लोग लंबे समय से रेल ओवरब्रिज बनाने की मांग कर रहे हैं. स्थानीय निवासी झमन भुइंया कहते हैं : सांसद-विधायक कोई बात नहीं सुनते. डिग्री काॅलेज और रेल ओवरब्रिज की बात अनुसनी कर दी जाती है. चुनाव में यह सब मुद्दा बनेगा? झमन कहते हैं : हमारे लिए तो है. वोट करते समय जरूर सोचेंगे.

Prabhat Khabar Digital Desk
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