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इटखोरी : …जब खुदाई में उमा महेश्वर व मां दुर्गा की मिली प्रतिमा

इटखोरी : इटखोरी के करमाखुर्द के बिहारी मौजा में खुदाई का कार्य दूसरे दिन गुरुवार को भी जारी रहा. खुदाई के दौरान अब तक उमा-महेश्वर, मां दुर्गा व बुद्ध की मूर्ति के अलावा अमलख, योनिपीठ(शिवलिंग का अर्घा), मनौती स्तूप, प्राचीन ईंट, प्राचीन मंदिर का स्तंभ सहित कई अवशेष मिले हैं. पर्यावरण विभाग के खुदाई विशेषज्ञ […]

इटखोरी : इटखोरी के करमाखुर्द के बिहारी मौजा में खुदाई का कार्य दूसरे दिन गुरुवार को भी जारी रहा. खुदाई के दौरान अब तक उमा-महेश्वर, मां दुर्गा व बुद्ध की मूर्ति के अलावा अमलख, योनिपीठ(शिवलिंग का अर्घा), मनौती स्तूप, प्राचीन ईंट, प्राचीन मंदिर का स्तंभ सहित कई अवशेष मिले हैं. पर्यावरण विभाग के खुदाई विशेषज्ञ बिनॉय के बेहल, सुजाता चटर्जी, फिलोमिना की उपस्थिति में हो रही है.

विशेषज्ञों ने कहा कि यह स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने संभावना जतायी है कि इस स्थान पर प्राचीन काल में मंदिर रहा होगा. यहां मिली मूर्तियां हजारों साल पुरानी हैं. हर प्रतिमा कुछ-न-कुछ संदेश दे रहीं हैं. खुदाई पर्यटन विभाग के सचिव मनीष रंजन के निर्देश पर हो रही है.बोधिसत्व से बुद्ध बनने की गाथा लिखने को तैयारी : मां भद्रकाली की पावन भूमि इटखोरी एक नया इतिहास लिखने की ओर अग्रसर है.

गौतम बुद्ध बोधिसत्व से भगवान गौतम बुद्ध कैसे बने इसकी खोज व शोध की जा रही है. बौद्ध धर्म के जानकार विशेषज्ञ बिनॉय के बेहल ने कहा कि भगवान गौतम बुद्ध इटखोरी से बोधगया जाने के पहले बोधिसत्व(सिद्धार्थ) थे. बोध गया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद उनका नाम भगवान गौतम बुद्ध हुआ.

ज्ञान प्राप्ति से पहले इटखोरी में विचरण करते रहे, तब तक उनका नाम बोधिसत्व(सिद्धार्थ)था. श्री बेहल ने कहा कि बुद्ध की जीवनी पर पुस्तक लिखी जायेगी. उसमें इटखोरी का उल्लेख प्रमुखता से किया जायेगा. यह पुस्तक विदेशों में प्रसारित की जायेगी. इटखोरी का क्षेत्र अपने आप में महत्वपूर्ण है. यहां की कलाकृतियां विश्वस्तरीय धरोहर हैं.

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