चाईबासा. पश्चिमी सिंहभूम जिले में रुक-रुक कर लगातार हो रही बारिश ने जून माह की औसत बारिश का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. वहीं, खेतों में पानी भरने से किसानों को धान का बिचड़ा तैयार करने में परेशानी हो रही है. खासकर निचले इलाके के खेत लबालब हैं. बिचड़ा तैयार करने के लिए खेतों में डाले गये धान सड़ने लगे हैं. वहीं ज्यादातर खेतों में घास फूस उग आए हैं. किसानों के अनुसार, बारिश की यही स्थिति रही तो धान की खेती करने में परेशानी होगी. जबतक बिचड़ा तैयार नहीं होगा, बुआई का काम शुरू नहीं हो पायेगा. अब किसान बारिश बंद होने का इंतजार कर रहे हैं.
इस माह 25 जून तक 309. 6 मिमी बारिश हुई. विदित हो कि जून माह में जिले की औसत बारिश 72.5 मिमी है. हालांकि, 25 जून तक 309. 6 मिमी तक बारिश हो चुकी थी. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बार मॉनसून 15-10 दिन पहले आ गया. किसानों को धान की खेती करने में परेशानी हो रही है, बल्कि आम के फलों में एंथ्रेक नोज (फल में काला धब्बा) की शिकायत भी होने लगी है.छींटा विधि से भी नहीं हो पा रही खेती. इधर, खेतों में पानी भरे रहने के कारण बिचड़ा तैयार नहीं हो पा रहा है. वहीं, खेत में कादो बनाने का काम नहीं हो पा रहा है. यदि बिचड़ा तैयार हो जाता है, तो बिना कादो के घास- पतवार की सफाई व बिचडे लगाने का काम नहीं हो सकेगा. किसानों का कहना है कि यदि बारिश 10- 15 दिन के लिए रुक जाये, तो बिचड़ा तैयार करने में सहूलियत होगी. मौजूदा समय में खेतों में बिचड़ा तैयार करने के लिए डाले गए बीज सड़ने के कगार पर हैं. किसानों के अनुसार, जिले में धान की खेती सबसे ज्यादा छींटा विधि से की जाती है. पानी भरे होने के कारण खेतों में धान बीज का छींटा भी नहीं किया जा सका है.
दिल्ली व हैदराबाद से मंगाया जा रहा बीज
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2025-26 के लिए कृषि विभाग ने किसानों को बीज उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली और हैदराबाद से बीज मंगवाया है. 150 क्विंटल एमटीयू 1010 धान बीज के लिए ड्रॉफ्ट लगा दिये गये हैं. इसके अलावा आईआर- 64 डीआरटी के 31 क्विंटल व 73 क्विंटल ईआर- 64 धान बीज के लिए ड्रॉफ्ट लगाये गये हैं. वहीं, अरहर, ज्वार, रागी, जौ, उरद, मूंगबीन, मूंगफली, तील व मक्का के बीच मंगाने की तैयारी की जा रही है.
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