चाईबासा. झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति के बैनर तले पश्चिमी सिंहभूम जिले के बंगाली समाज ने बुधवार को उपायुक्त को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. बांग्ला भाषियों की समस्याओं से अवगत कराया. समाज ने कहा कि शिक्षा मंत्री का कहना है कि पहले छात्र लाओ, फिर पुस्तक व शिक्षक मिलेंगे. उक्त बयान से झारखंड के एक करोड़ 30 लाख बांग्ला भाषियों की भावनाएं आहत हुई हैं. बांग्ला भाषी समाज ने घोर निंदा करते रोष व्यक्त किया.
पिछले दिनों प्रदेश के 100 से अधिक संगठनों की केंद्रीय संस्था झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति ने शिक्षा मंत्री को जमशेदपुर स्थित आवास पर ज्ञापन सौंपा. प्रदेश में बांग्ला भाषा में पठन-पाठन शुरू करने की मांग की गयी. इस दौरान मंत्री ने बताया कि प्रदेश के विद्यालयों में बांग्ला भाषी छात्र नहीं हैं. पहले छात्र लाइए फिर हम पुस्तक व शिक्षक देंगे. मंत्री के बयान का समाज में व्यापक विरोध हुआ है.बांग्ला विद्यालयों में पुस्तक और शिक्षकों का अभाव:
बताया गया है कि प्रदेश के 24 में से 16 जिले बांग्ला भाषी बहुल क्षेत्र हैं. प्रत्येक विद्यालय में बांग्ला भाषी छात्र हैं. पुस्तक व शिक्षकों के बिना बांग्ला भाषा में पठन- पाठन बंद है. प्रदेश में बड़ी संख्या में ड्रॉप आउट की समस्या है. इसपर शिक्षा सचिव ने चिंता जतायी है. पिछली सरकार के सर्वे में स्थिति स्पष्ट थी. इस सर्वे को शिक्षा मंत्री ने अस्वीकार कर दिया है. नये सिरे से सर्वे कराने का निर्देश दिया है. इसका समिति स्वागत करता है. ज्ञापन सौंपने वालों में काबू दत्ता,आशीष सिन्हा, एन मजुमदार, विश्व पॉल, सुभाशिष चटर्जी रीता दास, विमल,सव्य साची, विमल कुमार हाजरा,स्वप्न कुमार डे, शुक्ला दत्ता, मोहन मल्लिक, देवाशीष दत्ता, अमित सिंह मोदक, देवाशीष चटर्जी, लादुरा बारी, जिशान दत्ता, संजय डे, पूजा दत्ता, पूर्णिमा दत्ता, परितोष कुमार दत्ता, अपर्णा मल्लिक, स्वप्न मल्ल्कि, संजय दत्ता, महादेव दास, विमान कुमार पॉल, दोलन पॉल, बनमाली गोप, हलधर नंदी आदि शामिल थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है