चाईबासा.
क्रिसमस की पूर्व संध्या 24 दिसंबर की शाम गिरजाघरों में मध्यरात्रि में प्रभु यीशु के जन्म का जश्न मनाने के लिए विशेष आराधना की गयी. वहीं, 24 दिसंबर की रात जैसे ही घड़ी में 12 बजे चर्चों की घंटियां बजने लगीं. प्रभु के जन्म लेते ही मसीही समुदाय झूम उठा. लोगों ने गीत-संगीत और नाचगान कर खुशियां मनायी. कैरोल गीत से वातावरण झूम उठा. चर्चों को विशेष रूप से सजाया गया है. इस दौरान कैरोल गीत, बाइबल पाठ और प्रभु के जन्म पर प्रवचन प्रस्तुत किया गया. रोमन कैथोलिक चर्च के फादर अगस्तीन कुल्लू ने बताया कि क्रिसमस केवल पर्व नहीं, बल्कि प्रेम, त्याग, करुणा और भाईचारे का संदेश देता है. रोमन कैथोलिक चर्च में 25 दिसंबर की सुबह 7:30 बजे से हो भाषा और 8.30 बजे से मिस्सा बलिदान किया जायेगा. इसके बाद लोग घरों में त्योहार मनायेंगे. क्रिसमस की पूर्व संध्या पर सर्व संत उपासनालय चाईबासा में पल्ली पुरोहित रेब्ह पादरी रविकेश मनोज नाग, रेब्ह स्टेफन नाग मौजूद रहे.यीशु बचपन से ही आज्ञाकारी और दयालु थे : आलम
चाईबासा.
संत मेरी पब्लिक स्कूल परिसर में बुधवार को क्रिसमस मिलन समारोह का आयोजन हुआ. स्कूल के संस्थापक आफताब आलम ने समारोह का उद्घाटन किया. छात्रों ने केक काटकर यीशु मसीह का जन्मदिन मनाया. इसके बाद बच्चों व शिक्षिकाओं ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये. श्री आलम ने कहा कि यीशु मसीह का जन्म बैथलेहम के गोहाल घर में हुआ था. यीशु बचपन से ही आज्ञाकारी और दयालु थे. वे प्रेम और शांति का संदेश देते थे. इन्हीं अच्छे गुणों के कारण उन्हें न चाहने वाले लोगों ने दोषी ठहरा कर उन्हें सूली पर चढ़ा दिया. परंतु यीशु मसीह ने अंतिम समय में अपने दुश्मनों के लिए पिता परमेश्वर से प्रार्थना करते रहे, कि हे पिता इन्हें क्षमा करें. क्योंकि ये नहीं जानते की ये क्या कर रहे हैं. अतः इन सभी स्वभावों को आदर्श मानकर प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को यीशु मसीह का जन्मदिवस मनाया जाता हैं. उनके प्रेम और बलिदान को याद किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

