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Chaibasa News : मौसम के उतार-चढ़ाव से बिगड़ रही सेहत

मौसम के उतार-चढ़ाव से बिगड़ रही सेहत

चाईबासापश्चिमी सिंहभूम जिले में मौसम के उतार-चढ़ाव का असर लोगों की सेहत पर साफ दिखायी दे रहा है. दिन में तेज धूप और रात में ठंडक की वजह से वायरल बुखार, सर्दी-खांसी, गले में खराश, बदन दर्द, मलेरिया और टाइफाइड जैसे मौसमी रोग तेजी से फैल रहे हैं.

सदर अस्पताल में मौसमी बीमारियों के प्रतिदिन पहुंच रहे 400 मरीज :

सरकारी और निजी अस्पतालों में इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. सदर अस्पताल, चाईबासा की ओपीडी में प्रतिदिन 300 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं.

सोमवार को ओपीडी में 456 मरीजों का पंजीकरण किया गया.बच्चों पर भी असर, डॉक्टरों ने दी सावधानी बरतने की सलाह:

चिकित्सकों का कहना है कि दिन-रात के तापमान में भारी अंतर की वजह से बच्चों में भी बीमारियां बढ़ रही हैं. खास तौर पर सर्दी-खांसी, बुखार और गले में खराश की शिकायतें अधिक देखी जा रही हैं.

बारिश से जलजमाव की स्थिति उत्पन्न, मच्छरों का प्रकोप बढ़ा :

अचानक बारिश से जगह-जगह गंदगी और जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है. ऐसे में डेंगू और मलेरिया फैलने की आशंका भी बनी हुई है.

मौसम में परिवर्तन के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ा :

मौसम परिवर्तन के चलते ओपीडी में सर्दी-खांसी, सिर दर्द, वायरल बुखार, बदन दर्द, उल्टी और पेट दर्द जैसी शिकायतों के साथ मरीज पहुंच रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि तापमान में अंतर के कारण शरीर का तापमान संतुलित नहीं रह पाता, जिससे प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

आयुष चिकित्सा केंद्र में उपचार को पहुंचे लू के 10 से 12 मरीज

एलोपैथी पद्धति से उपचार के लिए जहां अस्पतालों में लंबी कतारें लग रही हैं, वहीं आयुर्वेद और होम्योपैथी पद्धतियों पर भरोसा करने वालों की संख्या भी कम नहीं है. सरायकेला जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में प्रतिदिन 250 से 300 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. इसके साथ ही, जिला आयुष चिकित्सा केंद्र में भी प्रतिदिन 30 से 50 मरीज आयुर्वेद पद्धति से उपचार करवाने आ रहे हैं. आयुष चिकित्सा केंद्र में प्रतिदिन आने वाले मरीजों में से 10 से 12 मरीज गर्मी और लू से प्रभावित आ रहे हैं. डॉ मोनालिसा पंडित दास व डॉ सोनाली प्रगति बैंजामिन के अनुसार, इन मरीजों में सिर दर्द, बदन दर्द और लगातार छींक आने जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं. मरीजों का उपचार उनके लक्षणों के आधार पर किया जा रहा है.

अभी तक नहीं मिली होम्योपैथी की दवा :

प्रभारी जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी डॉ पूनम कुमारी ने बताया कि आयुष केंद्र में होम्योपैथी की दवा उपलब्ध नहीं है. होम्योपैथी की जगह आयुर्वेद पद्धति से मरीजों का उपचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पूर्व में जिला स्तर पर प्रत्येक माह दवाई की खरीदारी करने का प्रावधान था. अक्तूबर 2024 में राज्य स्तर से निर्देश जारी कर जिला स्तर पर दवाई की खरीदारी पर रोक लगा दी गयी और राज्य स्तर से ही जिले को दवाई उपलब्ध करवाने की बात कही गयी. नवंबर से जिला आयुष चिकित्सा केंद्र के साथ जिले के सभी आयुष केंद्रों में होम्योपैथी की दवा उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि नवंबर के बाद करीब तीन बार आयोजित हुए राज्य स्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंस में लगातार होम्योपैथी की दवा उपलब्ध कराने का मामला उठाया गया. इस पर बताया गया कि दवाई की खरीदारी प्रक्रियाधीन है. जबतक दवा उपलब्ध नहीं हो जाती, तब तक आयुर्वेद पद्धति से उपचार करने का निर्देश दिया गया है.

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