महुआटांड़. जगेसर मांझी परगना का दो दिवसीय प्रथम सम्मेलन शनिवार को लुगुबुरू के दोरबार चट्टानी स्थित मेडिटेशन हॉल में शुरू हुआ. पहले दिन कार्यक्रम की अध्यक्षता ललपनिया मांझी बाबा ने की. वक्ताओं ने आदिवासी समाज की स्वशासन व्यवस्था को मजबूती के साथ अपनाने, पालन करने और इसके लिए लोगों को जागरूक करने पर बल दिया. साथ ही समाज से जुड़े ज्वलंत अहम मुद्दों पर चर्चा की गयी. समाज की परंपरा व संस्कृति के उत्थान, विकास व संवर्धन को लेकर विचार विमर्श हुआ. कई प्रस्ताव लिये गये. वक्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार पेसा कानून को अविलंब लागू करे अन्यथा आदिवासी समाज आंदोलन करेगा. मुख्य अतिथि धाड़ दिशोम देश परगना बाबा दुर्गा चरण मुर्मू ने कहा कि सृष्टि काल से ही गिरिडीह जिला स्थित मरांगबुरु जुग जाहेरगढ़ में आदिवासी संताल समाज अपनी रीति-रिवाज के तहत पूजा पद्धति (बाहा बोंगा) करते आ रहे हैं और बैशाख पूर्णिमा पर विश्व शिकार पर्व मनाते आ रहे हैं. पारंपरिक व्यवस्था के तहत तीन दिवसीय ग्रेट सेशन भी आयोजित होता है. लेकिन यहां अब व्यापक अतिक्रमण हो गया है. इससे आदिवासी समाज में आक्रोश है. मार्च माह में इसके खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन किया जायेगा. मौके पर लुगुबुरू घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ समिति के अध्यक्ष बबुली सोरेन, मोतीलाल टुडू, जयबीर हांसदा, कृष्णा हांसदा, महादेव मरांडी, मिथिलेश किस्कू, फिनिराम सोरेन, हीरालाल टुडू, सुखदेव हेंब्रम, चंद्रदेव हेंब्रम, अनिल कुमार हांसदा, जगन मरांडी, दिनाराम हांसदा, मंगल हांसदा, फूलचंद हेंब्रम, पप्पू हांसदा, रतिराम टुडू, बिरालाल मुर्मू, जितेंद्र हेंब्रम, शांति हांसदा सहित काफी संख्या में लोग थे.
गोमिया पीड़ परगना बाबा का चयन
इस दौरान दिनेश कुमार मुर्मू को सर्वसम्मति से गोमिया पीड़ परगना बाबा के रूप में चयन किया गया और पगड़ी पहनाकर उन्हें सम्मानित किया गया. संतोष कुमार मरांडी को पाराणिक बाबा और गोडेत सुखराम हांसदा को चुना गया. 11 सदस्यीय कार्यकारिणी सदस्यों का भी चयन किया गया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

