देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बेरमो अनुमंडल के गोमिया में पांच जनवरी 1958 को एशिया महादेश के पहले बारूद कारखाना का उद्घाटन किया था. स्पेशल सैलून से वह गोमिया आये थे. रेलवे धनबाद ऑफिस में हवलदार के पद पर कार्यरत गोमिया के रामधन राम उनके साथ ड्यूटी में स्पेशल सैलून से धनबाद से गोमिया तक साथ आये थे. यहां से डॉ राजेंद्र प्रसाद खुली जीप से आइसीआइ कंपनी पहुंचे तथा कारखाना का उद्घाटन किया था. कारखाना के निरीक्षण करने के बाद मजदूरों को संबोधित किया था. लौटने के क्रम में सड़क के दोनों ओर खड़े ग्रामीणों से मिले तथा उनकी समस्याएं सुनी थी. कहा था इस प्लांट को चलाने में आप सहयोग करें. यह देश आपका है. देश में उद्योग-धंधों का विस्तार होगा, तो लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. डॉ राजेंद्र प्रसाद गोमिया के स्वतंत्रता सेनानी होपन मांझी व उनके पुत्र लक्ष्मण मांझी से भी मिले थे. उन्हें बताया गया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी होपन मांझी के घर रुके थे. डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह से लक्ष्मण मांझी को एमएलसी बनाने की अनुशंसा की थी तथा बाद में उन्हें एमएलसी बनाया भी गया था. गोमिया बारूद कारखाना का उद्घाटन करने के बाद शाम को करीब पांच बजे डॉ राजेंद्र प्रसाद उसी स्पेशल सैलून से वापस धनबाद लौट गये थे.
गोमिया बारूद कारखाना का नाम हो गया आइइएल
गोमिया में बारूद कारखाना खोलने के पीछे सरकार ने कई दृष्टिकोण से गोमिया को उपर्युक्त माना था. बगल में कोनार नदी का पानी मिल गया. निर्मित सामान को बाहर भेजने के लिए एक किमी की दूरी पर गोमिया रेलवे स्टेशन था. यहां प्रचुर मात्रा में बारूद खपाने के लिए कोयला खदानें भी थीं. आज भी कोल इंडिया की कई खदानों में गोमिया का ही बारूद कोयला खनन के क्रम में ब्लास्टिंग के लिए उपयोग किया जाता है. यूनाइटेड किंगडम (लंदन) की कंपनी आइसीआइ (इम्पेरियल कैमिकल इंडस्ट्रीज) से गोमिया में बारूद कारखाना खोलने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने आग्रह किया था. 90 के दशक में आस्ट्रेलिया की कंपनी ओरिका ने इसे अपने अधीन ले लिया तथा इसका नाम आइइएल ओरिका पड़ गया. इस बारूद कारखाना में बारूद के अलावा नाइट्रिक एसिड, अमोनिया, नाइट्रो फ्लोराइड का भी उत्पादन किया जाने लगा. यहां निर्मित सामानों की सप्लाई पूरे देश के अलावा अरब कंट्री, चीन, भूटान, इंडोनेशिया, वर्मा आदि आदि देशों में भी की जाती थी. अभी भी यहां का बारूद देश- विदेश में जाता है. गोमिया में बारूद कारखाना खोलने के समय करीब 12 सौ एकड़ जमीन अधिग्रहित की गयी थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

